द्वारा: Dr. Erwin Lutzer; ©2003
इस बात के प्रति सुनिश्चित होना क्यों महत्वपूर्ण है कि आप अपना अनंत जीवन कहाँ बिताएंगे? जिस तरह से लोग परमेश्वर में विश्वास करते हैं क्या उसके द्वारा वे स्वर्ग जा पाएंगे? मत्ती 7 कहता है, “मुझे खेद है. मैं तुम्हे नहीं जानता,” उसका सन्देश तो यही है.” लोगों द्वारा गलत स्थान में रखे गए विश्वास के बारे में ऐसे कौन से दो मार्ग हैं जिनके बारे में यीशु बताते हैं.
परिचय
उद्घोषक: आज The John Ankerberg Show पर पूछा जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक प्रश्न यह है कि: “आप इस बारे में कैसे सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप अपना अनंत जीवन परमेश्वर के साथ बिताएंगे?”
Dr. Erwin Lutzer इस बारे में कुछ इस तरह सोचते हैं. अपनी मृत्यु के ठीक एक मिनट बाद ही आप अपने आप को मसीह और स्वर्ग की महिमा देखते हुए पाएँगे या फिर आप कुछ इतना भयानक पाएँगे कि जिसकी आज आप कल्पना भी नहीं कर सकते. मेरा मतलब है, जब आप रुक कर इसके बारे में सोचते हैं तो जो महत्वपूर्ण प्रश्न हम पूछ सकते हैं वह यह है कि हम अपना अनंत जीवन कहाँ बिताएंगे.
इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए जॉन के अतिथि हैं डॉ. इरविन लुत्ज़र, जो कि मूडी मेमोरियल चर्च शिकागो, इलेनॉइस में पासबान हैं. वे इस प्रश्न का भी उत्तर देंगे कि: यीशु ने यह क्यों सिखाया कि बहुत से धार्मिक लोगों के चेहरों के समक्ष स्वर्ग का द्वार बंद कर दिया जाएगा? परमेश्वर में एक झूठे विश्वास तथा सच्चा उद्धार प्राप्त करने वाले विश्वास में क्या अंतर है? क्या एक व्यक्ति इस बात को निश्चित रूप से जान सकता है कि वह स्वर्ग जा रहा है?
हम आपको आमंत्रित करते हैं कि आप इस महत्वपूर्ण जानकारी को सुनें.
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Dr. John Ankerberg: हमारे कार्यक्रम में आपका स्वागत है. हम एक ऐसे विषय के बारे में बात कर रहे हैं जो किसी भी व्यक्ति के लिए बड़ा महत्वपूर्ण हो सकता है: आप इस बारे में कैसे सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप अपना अनंत जीवन परमेश्वर के साथ बिताएंगे. मेरा मतलब है क्या आप इससे महत्वपूर्ण किसी और बात के बारे में सोच सकते हैं? और मेरे मित्र हैं डॉ. इरविन लुत्ज़र जो कि शिकागो में मूडी मेमोरियल चर्च के पासबान हैं. हम एक दूसरे को काफी लम्बे समय से जानते हैं और मैंने इस विषय पर उनकी पुस्तकें पढ़ी हैं. लोगों, मैं इस बात को स्वीकार करना चाहता हूँ कि आज तक जितनी पुस्तकें मैंने पढ़ी हैं यह उनमें से एक सर्वोत्तम पुस्तक है. और आज हमारा उद्देश्य यह है कि हम इन महत्वपूर्ण जानकारियों को आपके साथ बांटें. यहाँ से इरविन शुरूआत करेंगे. आप अपना अनंत जीवन कहाँ बिताओगे यह जानना इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
Dr. Erwin Lutzer: ठीक है जॉन, कुछ इस तरह सोचिये – अपनी मृत्यु के ठीक एक मिनट बाद ही आप या तो मसीह और स्वर्ग कि महिमा की सुन्दरताओं को देखोगे, या फिर आप कुछ ऐसा भयानक देखोगे कि जिसकी आप कल्पना भी नहीं कर सकते. मेरा मतलब है जब आप रुक कर इसके बारे में सोचते हो तो सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न जो हम कभी पूछ सकते हैं वो यह है कि हम अपना अनंत जीवन कहाँ बिताने वाले हैं? मुझे (ब्लेयस) पास्कल के शब्द स्मरण आते हैं, जिन्होंने कहा था कि, इस दुनिया में वास्तव में दो तरह के समझदार लोग पाए जाते हैं. पहले वे हैं जो परमेश्वर को अपने सम्पूर्ण हृदय, मन और प्राण से प्रेम करते हैं क्योंकि उन्होंने परमेश्वर को पा लिया है, और दूसरे वे हैं जो उसे सम्पूर्ण मन, हृदय और प्राण से ढूंढते हैं क्योंकि उन्होंने अभी तक उसे पाया नहीं है.
Ankerberg: हाँ. ये बड़े डरावने विचार हैं. एक बात जो आपकी पुस्तक में अलग दिखाई देती है वो यह है कि आपने कहा है कि, “अपनी मृत्यु के पाँच मिनट बाद जो कुछ भी आप अनुभव करेंगे, उससे आप जानेंगे कि आपका भविष्य अपरिवर्तनीय रूप से निर्धारित कर दिया गया है, और अनंतकाल के लिए अपरिवर्तनशील है.” वहाँ कोई दूसरा अवसर नहीं है, ना ही कोई दूसरा विकल्प है. आप अपनी स्तिथि को उस बिंदु पर बदल नहीं सकते. अतः अभी वो समय है जबकि आप निर्णय ले सकते हैं.
Lutzer: और जॉन, आप जानते हैं कि मैं एक पुस्तक केन्द्र गया ताकी मैं यूरोप पर, जहाँ मैं यात्रा पर जा रहा हूँ, उस पर कुछ पुस्तकें खरीद सकूँ. मेरा मतलब है, कि जहाँ मैं जाने वाला हूँ मैं वहाँ के बारे में अध्ययन कर रहा हूँ, ठीक है? हम सब यही करते हैं. लेकिन फिर भी यहाँ ऐसे लोग हैं जो इस तथ्य पर कोई विचार नहीं करते कि एक अनंतकाल आने वाला है और जिसमे वे इस पृथ्वी ग्रह से अलग होकर कहीं और ही अपना अनंत जीवन बिताएंगे. और यह बहुत ही महत्वपूर्ण है कि हम यह जानें कि हम कहाँ जा रहे हैं. और शुभ सन्देश यह है कि हम उस मार्ग को जान सकते हैं और उस पर भरोसा कर सकते हैं.
Ankerberg: हाँ. इस समय आप लोगों के साथ टिलिनोल घटना की वह डरावनी कहानी भी बताईये जो यह दर्शाती है कि लोगों ने अपना विश्वास गलत जगह पर रख लिया है. और यह कुछ ऐसी बात है जिसके बारे में सोचकर भी डर लगता है, लेकिन आईये इस गलत जगह रखे गए विश्वास की उलझनों को सुलझाएं और उन्हें ठीक करें: जो लोग परमेश्वर में विश्वास करने वाले है उन सभी लोगों को लगता होगा कि वे स्वर्ग जाने वाले हैं, मगर वे स्वर्ग नहीं जायेंगे – क्योंकि उन्हें स्वर्ग के द्वार पर से ही लौटा दिया जाएगा. इसे बाद में करेंगे अभी वापस “टिलिनोल” पर चलते हैं.
Lutzer: जॉन, मैं लोगों से कहता हूँ कि विश्वास आपको नष्ट कर सकता है. ऐसे लोग हैं जो आज इस कार्यक्रम को सुन रहें हैं और जिनके पास अद्भुत विश्वास है लेकिन वे बचाए नहीं जाएँगे और उनका वह विश्वास ही उन्हें नष्ट कर रहा है. आप जानते हैं कि, शिकागो में जहाँ हम रहते हैं वहाँ 1982 में एक टिलिनोल नामक घटना घटी. जो हुआ वह यह था कि किसी दुष्ट व्यक्ति ने, जिसके बारे में वे शायद आज भी नहीं जानते कि वह कौन था, उसने कुछ टिलिनोल कैप्सूल लिए और उनमें सायनायड भर दिया. और उसके परिणामस्वरूप सात लोगों की मृत्यु हो गई. वे टिलिनोल सिर्फ इसलिए ले रहे थे क्योंकि उन्हें सरदर्द या ऐसी ही कुछ समस्या थी, मगर उन्हें मृत्यु मिली. अब इस घटना से हम दो महत्वपूर्ण सबक सीख सकते हैं. पहला यह कि दुनिया का सारा विश्वास मिलकर भी किसी हानिकारक वस्तु को किसी लाभदायक वस्तु में नहीं बदल सकता. मेरा मतलब है, वहाँ जो लोग थे उन्हें विश्वास था कि वे टिलिनोल का सेवन कर रहे हैं, और उन्हें पक्का विश्वास था कि वे वही खा रहे हैं, लेकिन उनका सारा विश्वास भी सायनायड को टिलिनोल में नहीं बदल सका – क्योंकि वह तो सायनायड था. यह एक महत्वपूर्ण सबक है; जिसका अर्थ है कि वास्तव में हमारे लिए जो सबसे अधिक महत्वपूर्ण है, वो है हमारे विश्वास की विषयवस्तु.
लेकिन दूसरा सबक इससे भी अधिक डरावना है: कभी कभी एक झूठा विश्वास एक सच्चे विश्वास की तरह प्रतीत हो सकता है. क्योंकि मुझे बताया गया है कि सायनायड काफी हद तक टिलिनोल से मिलता – जुलता ही है. ठीक इसी तरह ऐसे भी लोग हैं जिनके पास विश्वास है – वे परमेश्वर में विश्वास रखते हैं – और परमेश्वर पर पक्का भरोसा है तथा वे पूरी आशा रखते हैं कि वे स्वर्ग जायेंगे – लेकिन एक दिन स्वर्ग का द्वार हमारे मुंह के सामने जोर से बंद कर दिया जायेगा. आप जानते हैं, यीशु ने मत्ती के सातवे अध्याय में इस बात को बताया, और यह इतनी महत्वपूर्ण है कि हमें एक काम करना चाहिए कि इसे पढ़ ही लेना चाहिए.
Ankerberg: जरुर.
Lutzer: अपनी नौका की पाल से वायु को टकराने देना ही सबसे जरुरी और काफी है.
Ankerberg: मैं सोचता हूँ हमें इस समय बाइबल इसलिये पढनी चाहिए क्योंकि लोग कह सकते हैं कि, “इरविन, एक मिनट रुकिए, इस बात पर मैं आपकी बात का विरोध करना चाहता हूँ सच्चाई यह है कि परमेश्वर पर विश्वास करने के बावजूद ऐसा हो सकता है कि मैं स्वर्ग न जाऊँ? ” बाइबल यही कहती है.
Lutzer: और मालूम है, जॉन, यह तो उससे भी खतरनाक बात है. असल में मसीह पर विश्वास करने के बावजूद ऐसा हो सकता है कि आप स्वर्ग न जाएँ.
Ankerberg: ठीक है, हम वचन को पढ़ते हैं और उसी पर विचार करते हैं.
Lutzer: यह रहा. यीशु मत्ती 7:21-23 में कह रहे हैं: “हर एक जो मुझे प्रभु, प्रभु कहता है, उनमें से हर एक स्वर्ग के राज्य में प्रवेश न कर सकेगा, परन्तु वही जो मेरे स्वर्गीय पिता कि इक्छा पर चलता है. उस दिन बहुत से लोग मुझ से कहेंगे, हे प्रभु, हे प्रभु, क्या हमने तेरे नाम से दुष्टात्माएं नहीं निकलीं, और क्या तेरे नाम से बहुत से आश्चर्यकर्म नहीं किये? तब मैं उनसे खुलकर कह दूंगा, “मैंने तुम्हें कभी नहीं जाना . हे कुकर्म करने वालो, मुझसे दूर हो जाओ.”
यहाँ जो लोग हैं उन्होंने ऐसे आश्चर्यकर्म किये हैं जिनसे वास्तव में लोगों कि मदद हुई. मेरा मतलब है, यहाँ हर तरह के प्रमाण हैं कि उन्होंने दुष्टात्माओं को निकला था, उन्होंने आश्चर्यकर्म किये, हो सकता है उनकी कई भविष्यद्वाणियां पूरी भी हुई हों, और उन्होंने पूरी उम्मीद की हो कि वे स्वर्ग जायेंगे. आप जानते हैं ये उस तरह के लोग नहीं हैं जो कलीसिया में देर से जाते हैं, पिछली पंक्ति में बैठते हैं और आशीष वचन से पहले ही बाहर चले जाते हैं. ये तो वो लोग हैं जो आत्मिक रूप से अग्रणीय हैं. और यदि हम स्वयं में विचार करें तो, “हाँ, आप जानते हैं कि वे नकली हैं. ये वो लोग थे जो किनारे से दूर जा चुके थे,” मैं नहीं सोचता बात यही है. मैं सोचता हूँ, यीशु जो कहना चाहते हैं वह यह है कि, वे लोग जिनका ऐसा दृढ विश्वास था और जिनके जीवन में ऐसी सेवकाइयां थी, यदि उनके लिए द्वार बंद कर दिया जायेगा तो फिर हमारे जैसे साधारण लोगों के बारे में सोचिये जो वहाँ पहुँच नहीं पायेंगे.
Ankerberg: आइये इरविन, इसी बात पर ठहरते हैं, क्योंकि मैं सोचता हूँ ऐसे लोग होंगे जो कहेंगे, “एक मिनट रुकिए. मुझे ये बात पसंद नहीं है क्योंकि मैंने तो पूरी सच्चाई के साथ यह तय किया है कि मैं ऐसे ही भरोसा रखूँगा. ठीक है?” अब यीशु कहते हैं कि वो नहीं जायेंगे, लेकिन उन्हें यह भी बताना जरुरी है कि सिर्फ सच्चा विश्वास करना ही काफी नहीं है – क्योंकि वहाँ एक सच्चा परमेश्वर है और उसकी अपनी ही एक योजना है.
Lutzer: सही बात है.
Ankerberg: अब हमें उसके बारे में बताइए.
Lutzer: ठीक है, हम इस पर और अधिक विस्तार में जाने वाले हैं, लेकिन इसे एक संक्षिप्त रूप में बताने के लिए, सीधी-सादी सच्चाई यह है कि, यीशु ही एक मात्र योग्य उद्धारकर्ता है. उसके अलावा कोई और नहीं है. मैंने 1993 में, शिकागो में, विश्व धर्म संसद में भाग लिया था और वहां मैं नीचे पाल्मर हाउस गया जहाँ पर वहाँ उपस्थित दुनिया के विभिन्न धर्मों के लगभग 100 मण्डप लगे थे. मैं उनमे से बहुत से मण्डपों में गया और मैंने उनसे पूछा कि, “क्या आपके पास कोई निष्पाप उद्धारकर्ता है? क्योंकि मैं पापी हूँ और मैं बचना चाहता हूँ, और मैं कोई ऐसा उद्धारकर्ता नहीं चाहता जिसकी दशा मेरे जैसी ही हो.” और क्या आप जानते हैं जॉन, मुझे ऐसा एक भी उद्धारकर्ता नहीं मिल सका. जो आपको मिलते हैं वो होते हैं गुरु और नबी, जो आपसे कहते हैं कि “यह रास्ता है”, “वह मोड़”…और आपको पता है, आठ मोड़ वाला मार्ग, चार मोड़ वाला मार्ग. मुझे कोई ऐसा योग्य उद्धारकर्ता नहीं मिला जो मुझे बचा सके. अब यीशु ही एक मात्र उद्धारकर्ता है इसका मुख्य कारण यह है कि, क्योंकि वही एक ऐसा है जिसके पास ऐसी धार्मिकता है जिसे परमेश्वर मेरे बदले में स्वीकार करता है. इसके बिना मैं खोया हुआ हूँ और मुझे इसकी परवाह नहीं मैं कितना ईमानदार हूँ और कितने नबियों पर मैंने विश्वास किया और कितने चमत्कारों को मैं करने में सक्षम रहा हूँ.
Ankerberg: इरविन, हम पिछली रात इसी तरह के लोगों के बारे में बात कर रहे थे जो इस बात से ही इंकार करते हैं कि कोई परमेश्वर है भी. मैं आपसे कह रहा था कि मैंने लैव्यव्यवस्था और फिर इब्रानियों को एक के बाद एक पढ़ा, और यदि आप लैव्यव्यवस्था पढ़ते है, तो जैसा मैंने कहा मैं तो अब तक मर चुका होता, क्योंकि वहां जो पाप लिखे हुए हैं, और अगर पुराने नियम का परमेश्वर होता, और आप उन पापों को करते तो आप कब के मर चुके होते. ठीक है?
Lutzer: सही कहा.
Ankerberg: और नए नियम में, इब्रानियों कि पुस्तक कहती है हम इसलिए तुरंत मारे नहीं गए क्योंकि वो यीशु है जिसने हमारे पापों को अपने ऊपर उठा लिया और हमारे लिए मारा गया (इब्रा. 10:5 -10).
Lutzer: लेकिन जॉन, जो लोग यीशु मसीह का तिरस्कार करते हैं, नए नियम के समय में उनका दण्ड पुराने नियम के समयों से भी ज्यादा है. कभी कभी लोग कहते हैं, “पता है, पुराने नियम का परमेश्वर बड़ा ही कठोर और सख्त था. ओह, लेकिन यीशु मसीह ने हमें इस प्रेमी परमेश्वर से मिलाया जो कभी किसी को नरक नहीं भेजता.” मालूम है इब्रानियों कि पुस्तक में इसके बारे में क्या लिखा है? “यदि वे नहीं बच पाए तो हम इतने बड़े उद्धार का तिरस्कार करके किस प्रकार बच सकते हैं?” [इब्रा. 2:3] और यहाँ पर उन लोगों का जिक्र है जिन्होंने उद्धार का तिरस्कार किया जबकि वो ऐसे धार्मिक लोग थे जो परमेश्वर से जुड़े हुए थे.
अब, मैं सोचता हूँ, कि हम इसी बाइबल अंश पर एक मिनट ठहरेंऔर सोचें कि, “यह कैसे होगा?” क्या आप इसकी कल्पना कर सकते हैं? अपनी पुस्तक में मैं एक व्यक्ति का उदाहरण देता हूँ जो दलदल में फँसा था क्योंकि उनका वायुयान दुर्घटनाग्रस्त हो चुका था और वहाँ और भी लोग थे जो बच चुके थे, मगर अब वहाँ सिर्फ एक व्यक्ति बचा था. और एक बचाव यान वहाँ ऊपर से गुजरा मगर उस व्यक्ति को देख नहीं पाया, और वह कीचड़ में धंसता चला जाता है और वह जान गया कि वह मरने वाला है. मेरा मतलब है जो इन लोगों ने अनुभव किया वे उसे जरा भी नहीं जान सके. आप स्वर्ग जाने की आशा कर रहे हैं और स्वर्ग का दरवाजा आपके सामने ही बंद कर दिया जाता है. क्यों? क्योंकि आपके अन्दर विश्वास की कमी थी? नहीं, इन लोगों का तो बहुत बड़ा विश्वास था. लेकिन उनका लक्ष्य गलत था. उनका विश्वास उनके प्रकाशनों में था; उनका विश्वास उनकी योग्यताओं में था, शायद अपने चमत्कारों में रहा हो. उनका सम्पूर्ण विश्वास एकमात्र यीशु में नहीं था, जो कि लोगों को बचाने की योग्यता रखता है.
Ankerberg: हम एक छोटा विराम लेंगे, जब हम वापस आयेंगे तब उन अन्य क्षेत्रों के बारे में बात करेंगे जहाँ पर लोग अपने विश्वास को गलत जगह पर रख देते हैं. वो जो कि सीढियों के सोपानों पर एक धार्मिकता के मार्ग से, एक रहस्यवादी मार्ग से, एक ज्ञान के मार्ग से, एक नैतिकता के मार्ग से चढ़ रहे हैं. हम उन सबके बारे में बात करेंगे. हो सकता है आप भी ऐसे ही हों, या फिर आपका कोई मित्र ऐसा हो, अतः हमारे साथ बनें रहें.
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Ankerberg: हम वापस आ गए हैं. हम इस प्रश्न पर बात कर रहे थे कि, “क्या आप निश्चित रूप से जानते हैं कि आप अपना अनंत जीवन परमेश्वर के साथ बिताएंगे?” और हमारे अतिथि हैं Dr. Erwin Lutzer जो कि मूडी मेमोरियल चर्च, शिकागो में पासबान हैं. Erwin, चलिए सीधे अपने विषय पर चलते हैं. लोगों ने अपने विश्वास को गलत स्थान पर लगाया हुआ है. वे ईमानदार हो सकते हैं; वे सोच सकते हैं कि वे जो विश्वास परमेश्वर पर कर रहे हैं वह उन्हें स्वर्ग में ले जायेगा. और आप यहाँ ये खतरनाक बातें कर रहे हैं: कि वे धोखा खायेंगे; कि यह उनकी अन्तिम गलती होगी. और आप वास्तव में उनको यह कहकर उनके प्रति दया दिखा रहे हैं कि, “इससे पहले कि आप स्वर्ग जाओ यीशु आपसे यह कहता है जो कि मत्ती 7:23 में लिखा है, “मुझे दुःख है, मैं तुम्हें नहीं जानता,” उसका जो सन्देश है वो यही है. यीशु ने गलत स्थान में विश्वास रखने के बारे में जो दो मार्ग बताये हैं, कृपया उनके बारे में मुझे बताएं.
Lutzer: ठीक है, जैसा कि सब जानते हैं, कि यीशु ने कहा कि एक चौड़ा मार्ग है जो कि नाश की ओर ले जाता है, और एक सकरा मार्ग है जो कि जीवन की ओर ले जाता है. [मत्ती. 7:13-14] जीवन की ओर ले जाने वाला मार्ग इतना सकरा क्यों है? क्योंकि यह ऐसा मार्ग है जिसमें सिर्फ यीशु में ही विश्वास किया जाता है, जिसको हम बाद में समझायेंगे. लेकिन चौड़े रास्ते पर बहुत सारे लोग हैं. आप जानते हैं, बहुत से लोगों को यह अहसास नहीं होता कि वचन अनुसार हम कह सकते हैं कि, नरक जाने वालों की संख्या स्वर्ग जाने वालों की संख्या से अधिक है. क्योंकि इस चौड़े मार्ग में यातायात के विभिन्न गलियारे हैं. मेरा मतलब है चौड़े मार्ग पर कोई भी किसी भी प्रकार से चल सकता है. आप उस पर कुछ इस तरह भी चल सकते हैं जिसे मैं कहता हूँ, “सीढ़ी चढ़ने वाला,” कोई ऐसा व्यक्ति जो कहता है, “मैं अपने अच्छे कार्यों के द्वारा परमेश्वर के पास जा सकता हूँ.”
मैं एक बार हवाई जहाज में बैठा था, तब एक व्यक्ति ने मुझसे यह बात कही थी. मैंने कहा, “क्या आपको निश्चय है कि आप अपने अच्छे कार्यों के द्वारा उद्धार पा सकते हैं?”
और वो कहने लगा, “सही कहूँ तो, नहीं.” उसने कहा, “मुझे थोडा डर है.”
मैंने कहा, “तुम्हारा डर क्या है?”
उसने कहा, “यह ऐसा है जैसे कि मैं न्याय के दिन मदर टेरेसा के पीछे खड़ा हूँ, और प्रभु की आवाज़ को सुन रहा हूँ, जो उनसे कह रही है कि, “हे स्त्री, आप तो इससे ज्यादा भी कर सकती थीं.” और फिर मेरी बारी आती है. क्योंकि हमारे अन्दर कुछ ऐसा है, जो हमें यह अहसास दिलाता है, कि हम कितना भी कुछ क्यों न कर लें, इससे कुछ फर्क नहीं पड़ने वाला, क्योंकि जो कुछ हम करते हैं वह सब दूषित हो जायेगा. हम सोचते हैं हमारी मनसाएं सबसे अच्छी थीं, लेकिन ऐसा नहीं है, हम तो पापी हैं. और साधारण तथ्य यह है कि परमेश्वर बहुत पवित्र है. देखो जॉन, आज के समाज में अगर आप मुझसे पूछें कि स्वर्ग जाने के इन ढेर सारे रास्तो की मूल समस्या क्या है, तो मैं कहूँगा कि हमने परमेश्वर की पवित्रता को कम करके आँका है.
किसी ने इस प्रकार कहा है, आप जानते हैं, “हमारे पास दूध देने के लिए गायें हैं. हमारे पास ऊन देने के लिए भेड़ें हैं. और हमारे पास परमेश्वर है जो हमारे साथ चलता और हमारी तमन्ना को पूरा करता है.” हमने परमेश्वर को अपने स्वरुप में बना लिया है. अतः वह ऐसा परमेश्वर है जिसे हम अच्छा जीवन व्यतीत करने के द्वारा खुश कर सकते हैं.
सही कहूँ तो, पहली बात यह है कि कोई भी अच्छा जीवन नहीं जीता है, क्योंकि हम सब पापी हैं. लेकिन, दूसरी बात यह है कि, यहाँ एक सुसमाचार है – यहाँ पर आज कोई ऐसा व्यक्ति सुन रहा है, जिसने बड़ा पाप किया है, जिसने अपराध किये हैं. उसके पास सीढ़ी से ऊपर जाने के कितने अवसर हैं? सुसमाचार का शुभ सन्देश यह है कि यीशु उसके लिए आया – पापियों में सबसे बड़े पापी के लिए आया. इसलिए हे सब सीढ़ी चढने वालों, यह वास्तव में उद्धार का एक गलत रास्ता है. जैसा कि यीशु कहते हैं कि वे सब उस चौड़े मार्ग पर चल रहें हैं जो नाश को पहुँचाता है.
Ankerberg: आपकी पुस्तक में एक बार्ना रिसर्च रिपोर्ट है, और आपने कहा है कि लगभग प्रत्येक अमरीकी यह विश्वास करता है कि वे इतने अच्छे हैं कि वे स्वर्ग जा सकते हैं, और आप उन धार्मिक रीतियों के बारे में बात करते हैं जो हमें बुरी तरह से अचंभित कर देती हैं.
Lutzer: सही कहूँ तो परमेश्वर में विश्वास न करते हुए और दुनियावी होते हुए भी आप भले इन्सान हो सकते हो. मेरा मतलब है, नास्तिक भी भले हो सकते हैं, क्योंकि वे परमेश्वर के स्वरुप में बनाये गए हैं. वे अच्छे कार्य कर सकते हैं. लेकिन दूसरी तरफ आपकी धार्मिक रीतियाँ हैं, “धार्मिक दिखावे” हैं, मैं सोचता हूँ आप जानते हैं मैं उनसे बात कर रहा हूँ जिन्होंने वास्तव में कभी गलत कार्य नहीं किये हैं और वे नियमित रूप से चर्च जाते हैं, और ये वो लोग हैं, जो अपना पैसा देते हैं, और इसी प्रकार के अन्य कार्य करते हैं. और उनमे से बहुत से लोग नष्ट होने वाले भी हैं. तथ्यात्मक रूप से वो नष्ट होने वाले हैं, इसलिए नहीं कि वे अच्छे लोग नहीं हैं, बल्कि वे उतने अच्छे नहीं हैं. क्योंकि जैसा कि हम एक अन्य कार्यक्रम में निष्कर्ष निकलते हैं कि परमेश्वर केवल सिद्धता चाहते हैं. इसलिए हमें उसके पुत्र की जरुरत है. इसी कारण से हमारे पास धार्मिक रीतियाँ हैं और धर्मशास्त्र के वे हिस्से हैं जो हम पहले पढ़ चुके हैं, जिन लोगों ने दुष्टात्माएं निकालीं और मसीह के नाम में भविष्यवाणियां की हैं, मेरा मतलब है कि ये वही धार्मिक रीतियाँ हैं, और ऐसा पाया गया है कि वे स्वर्ग नहीं जाने वाले हैं और वे यीशु से सुनेंगे कि, “मुझसे दूर हो जाओ.”
Ankerberg: चलिए इसे समाप्ति कि ओर ले चलते हैं. शायद आपके पास यहाँ पर कोई उदाहरण हो. लोग स्वर्ग नहीं जा सकते क्योंकि वे सोचते हैं कि वे बहुत अच्छे हैं. वे अपने बारे में कुछ ऊँचा ही सोचते हैं. आपकी पुस्तक में एक भाग है जहाँ पर आप कहते हैं कि, “जब वे अपना मुल्यांकन दुसरे लोगों से करते हैं तो वे अपनी स्तिथि हमेशा ऊँची कर लेते हैं क्योंकि वे सोचते हैं कि, “मैं उन लोगों से बेहतर हूँ.” ठीक है, आप ऐसे लोगों से यह कह सकते हैं कि – वे दूसरों से बेहतर हैं – लेकिन जहाँ तक परमेश्वर के समक्ष पापरहित होने का प्रश्न है, वहाँ पर बहुत बड़ी दरार है.
Lutzer: चलो इस उदाहरण को लेते हैं. शिकागो में एक सियर्स टावर है. अब यह जो सियर्स टावर है वह फर्स्ट नेशनल बैंक से कहीं अधिक ऊँचा है. और मुझे निश्चय है कि हम इस बात का पता लगा सकते हैं कि वो कितने फुट या गज़ ऊँचा है. लेकिन अगर प्रश्न को बदल दें और कहें कि, “कौन सी इमारत करीबी तारे के निकट है – कौन सी इमारत है जो कुछ ही प्रकाशवर्ष दूर है – ओह. दोनों इमारतों का अंतर कुछ ज्यादा नहीं है. और हम देखते हैं कि यदि हम अपनी तुलना एक – दुसरे से करने की बजाय परमेश्वर से करें तो हमारे आपस के बीच का अंतर वास्तव में नगण्य होता है. वो उतना ज्यादा नहीं होता है.
अतः आप देखते हैं, कि इन्सान के साथ समस्या यही है, और लूथर ने इसे सही तरीके से कहा है: लोग स्वयं को जीवित, अच्छा और ऐसा ही सब कुछ समझते हैं, और फिर जो बात वो नहीं समझते वो यह है कि वे अंधे भी हैं और नहीं जानते कि पवित्र परमेश्वर की उपस्तिथि में तुलना किये जाने पर वे अधम पापी हैं.
आपको पता है, एक बार एक छोटा लड़का था जिसने अपनी माँ से कहा, “माँ, मैं आठ फिट ऊँचा हूँ,” और उसने जो पैमाना बनाया था उसके अनुसार वह था भी. और लोग इसी तरह अपने आप को गलत पैमानों से नापते हैं. अगर आप बाइबल में आयें तो आप पाएंगे कि “सबने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं” (रोमि.3:23). और जो लोगो, परमेश्वर के अनुग्रह को सबसे कम स्वीकार करने वाले हैं – हम आने वाले कार्यक्रम में इस पर अवश्य जोर डालेंगे – जो सबसे कम अनुग्रह प्राप्त करेंगे ये वो अच्छे लोग हैं जो चर्च जाते हैं.
लेकिन जॉन, क्या आप जानते हैं कि लोगों की एक अन्य श्रेणी भी होती है, विशेष रूप से हमारे इस आत्मिकता के युग में, और ये वो हैं जो आत्मिक पंथ के, रहस्यवादी पंथ के हैं. यहाँ ऐसे लोग हैं जो “परमेश्वर से जुड़” जाते हैं और सोचने की कोशिश करते हैं कि इस तरीके से वो परमेश्वर को जानते हैं. साधारण तथ्य यह है कि, बाइबल कहती है कि, ‘सबसे पहले, दुष्ट लोग ठोकर खाते हैं और वे नहीं जानते कि वे किस चीज़ से ठोकर खा रहे हैं (नीति. 4:19); लेकिन यह ये भी कहती है कि ऐसे लोग भी हैं जो ये सोचते हैं कि वे इतने अच्छे हैं कि वे कोई गलत कार्य कर ही नहीं सकते (1 यूहन्ना 1:8). वास्तव में कई बार ये लोग ही बड़े पापी होते हैं और इनको कायल करना अत्यधिक कठिन होता है. क्यों? क्योंकि वे अपने जीवन में से उन सभी अच्छे कार्यों को बाहर लाकर दिखाते हैं जो उन्होंने किये हैं और वे यह नहीं समझते कि उन्हें भी उद्धार की उस शराबी से भी कहीं ज्यादा अधिक जरुरत है जो शराबियों की बस्ती में रहता है.
Ankerberg: इरविन, मैं इस बात को दुसरे तरीके से पूछता हूँ. स्वर्ग जाने के सच्चे विश्वास में लोग यीशु के करीब जाकर भी उसे कैसे खो सकते हैं?
Lutzer: आपको पता है, विश्व धर्म संसद में मैं एक स्त्री से मिला जिसने कहा कि वह एक पुस्तक पढ़ रही है जिसका नाम है Urantia जिसने वास्तव में यीशु को उसके जीवन में वापस ला दिया है. उसका पालन पोषण ऐसे घर में हुआ था जहाँ उसने यीशु से प्रेम किया. वह चर्च जाती थी लेकिन बच्ची होने के कारण उसे सभागार में बैठने की अनुमति नहीं थी. उसे अन्य बच्चों के साथ नीचे के कमरे में जाना होता था. और जब उसे ऊपर रुकने की अनुमति मिली तो उसने चर्च छोड़ दिया और फिर वो वहाँ कभी वापस नहीं गई. और उसने कहा, अब यह पुस्तक जिसमें यीशु के बारे में तब की कुछ कहानियां हैं जब वह एक लड़का था, और उसने कहा, “इस पुस्तक ने मेरे यीशु को मेरे पास वापस लौटा दिया है.” और उसने एक कहानी मुझे पढ़कर सुनाई कि किस तरह जब यीशु 12 साल के थे तो उन्होंने एक छोटे लड़के की मदद की. अब वह स्त्री रो रही थी. और मैंने उससे कहा, “आप सचमुच में यीशु से प्यार करती हैं, करती हैं ना?”
उसने कहा, “ओह, मैं उससे प्यार करती हूँ.”
मैंने कहा, “मुझे बताओ आप उसे क्यों प्यार करती हो?”
उसने कहा, “मैं उसे एक मित्र के रूप में प्यार करती हूँ. मैं उसे प्यार करती हूँ क्योंकि वो प्रभु है. मैं उसे प्यार करती हूँ क्योंकि वह गुरु है.”
तब मैंने उसकी ओर देखा और कहा, “क्या आप इसलिए भी उससे प्यार करती हैं क्योंकि वह एक निष्पाप उद्धारकर्ता है, जिसने क्रूस पर अपना रक्त बहा दिया ताकि एक पवित्र परमेश्वर के साथ हमारा मेल करा सके?”
और उसने मुझसे आँखें मिलाये बिना कहा, “आपको पता है, मैंने पहले कभी इसके बारे में नहीं सोचा.” अब देखिये यहाँ एक स्त्री है जो यीशु को प्यार करती है. और जो लोग आज हमें सुन रहें हैं, जो यीशु को “प्यार” करते हैं, लेकिन फिर भी वो विश्वासी नहीं हैं क्योंकि उन्होंने यीशु पर उस कारण से विश्वास नहीं किया जिस कारण से वो इस दुनिया में आया था. और उनके भले कार्य वास्तव में उनके लिए एक ठोकर का कारण हैं, क्योंकि वे उसकी वास्तविक आवश्यकता को छिपाते हैं. आप देखते हैं कि जब तक वे भले लोग हैं, वे भूल जाते हैं कि उन्हें एक उद्धारकर्ता की जरुरत है. और आने वाले कार्यक्रम में हम अनुग्रह की प्रकृति, उद्धार करने वाले विश्वास की प्रकृति, और इस तथ्य पर भी बात करने वाले हैं कि कोई भी व्यक्ति विश्वास के पूर्ण आश्वासन को प्राप्त कर सकता है. यह कितना दुखद होगा कि हम न्यूटन को जानते हों मगर एक वैज्ञानिक के रूप में नहीं, या फिर हम सेक्सपियर को जानते हों मगर एक साहित्यिक व्यक्ति के रूप में नहीं. कितना दुखद है यीशु को जानना और उसे प्यार भी करना, मगर एक उद्धारकर्ता के रूप में नहीं.
Ankerberg: ठीक है, मैं सहमत हूँ. और मैं नहीं चाहता कि आप कार्यक्रम देखने वालों के लिए प्रार्थना किये बिना यहाँ से जाएँ. देखो मैं जानता हूँ कि आपमें से कुछ लोग बाकी भाग को सुनने के लिए अगले सप्ताह तक प्रतीक्षा करना नहीं चाहते. आप यीशु के साथ एक रिश्ते में आना चाहते हैं. और जो बात इरविन ने आज कही है वो यह जानने के लिए काफी है कि आप मुसीबत में हैं. और यदि आज और अगले सप्ताह के कार्यक्रम के बीच आपकी मृत्यु हो जाती है तो आप स्वर्ग में नहीं होंगे क्योंकि आपने यीशु पर उस तरह विश्वास नहीं किया जिस तरह यीशु चाहता था कि आप उस पर विश्वास करें. आपका अपना ही कोई तरीका है, अपनी ही कोई सोच है. इरविन, मैं चाहता हूँ कि आप एक प्रार्थना करें जिसे लोग आपके साथ बोल सकते हैं, जिसमें वे अपने विश्वास को स्वयं पर से और जो कुछ भी वे करते हैं उस सब पर से हटा कर सिर्फ यीशु पर स्थानांतरित कर सकें.
Lutzer: और वे मेरे पीछे यह दोहरा सकते हैं.
Ankerberg: सही बात है.
Lutzer: ठीक है, आईये एक साथ प्रार्थना करें. “प्रिय परमेश्वर मैं आपका अत्यंत धन्यवाद करता हूँ कि आपने यीशु को एक उद्धारकर्ता के रूप में भेजा, और मैं आज उसे मेरे पापों को उठा ले जाने वाले के रूप में ग्रहण करता हूँ. मैं उसे एक ऐसे व्यक्ति के रूप में ग्रहण करता हूँ जिसने मेरे लिए अपनी जान दी है. मैं धन्यवाद् करता हूँ कि मैं उसकी योग्यता के आधार पर बचाया जा सकता हूँ, और मैं उसे मेरे अपने की तरह ग्रहण करता हूँ. मैं यह प्रार्थना उसके धन्य नाम से करता हूँ. आमीन.”
Ankerberg: इसके बारे में हम अगले सप्ताह और बात करेंगे, और Erwin आप इन्हें बताइए कि हम क्या बात करने वाले हैं. अनुग्रह इतना अद्भुत क्यों है?
Lutzer: बहुत से लोग सोचते हैं कि अनुग्रह मददगार है. यह अद्भुत है. इसका होना अच्छी बात है. जो कुछ हम कर रहे हैं यह उसमें कुछ और जोड़ता ही है. जो बात वो नहीं समझ पाते हैं वो यह है कि अनुग्रह इससे कहीं अधिक कुछ है. यह उससे कहीं ज्यादा है जिसकी संभवतः आप कल्पना भी नहीं कर सक्ते. यह अद्भुत अनुग्रह है.
Ankerberg: लोगों, जब आप वो सुनेंगे जो ये कहना चाहते हैं और जो बाईबल में परमेश्वर कहता है, तो आप “एक संगीत सुनेंगे!” आपकी आत्मा परमेश्वर के लिए धन्यवाद से उमड़ने लगेगी. तो मैं आशा करता हूँ कि आप अगले सप्ताह हमारे साथ अवश्य जुड़ेंगे.