आप इस बारे में कैसे सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप अपना अनंत जीवन परमेश्वर के साथ बिताएंगे?/कार्यक्रम 3

द्वारा: Dr. Erwin Lutzer; ©2003

क्यों उद्धार की शिक्षा के महत्व को समझना! जिस क्षण मैं यीशु पर विश्वास करता हूँ यदि उसी क्षण मसीह की धार्मिकता मुझ पर लागू हो जाती है तो क्या इसका मतलब ये है कि मैं मसीह को स्वीकार करके शैतान की तरह जीवन बिता सकता हूँ?”

परिचय

उद्घोषक: आज The John Ankerberg Show पर पूछा जाने वाला सबसे महत्वपूर्ण धार्मिक प्रश्न यह है कि: “आप इस बारे में कैसे सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप अपना अनंत जीवन परमेश्वर के साथ बिताएंगे?”

Dr. Erwin Lutzer इस बारे में कुछ इस तरह सोचते हैं. अपनी मृत्यु के ठीक एक मिनट बाद ही आप अपने आप को मसीह और स्वर्ग की महिमा देखते हुए पाएँगे या फिर आप कुछ इतना भयानक पाएँगे कि जिसकी आज आप कल्पना भी नहीं कर सकते. मेरा मतलब है, जब आप रुक कर इसके बारे में सोचते हैं तो जो महत्वपूर्ण प्रश्न हम पूछ सकते हैं वह यह है कि हम अपना अनंत जीवन कहाँ बिताएंगे.

इस प्रश्न का उत्तर देने के लिए जॉन के अतिथि हैं डॉ. इरविन लुत्ज़र, जो कि मूडी मेमोरियल चर्च शिकागो, इलेनॉइस में पासबान हैं. वे इस प्रश्न का भी उत्तर देंगे कि: यीशु ने यह क्यों सिखाया कि बहुत से धार्मिक लोगों के चेहरों के समक्ष स्वर्ग का द्वार बंद कर दिया जाएगा? परमेश्वर में एक झूठे विश्वास तथा सच्चा उद्धार प्राप्त करने वाले विश्वास में क्या अंतर है? क्या एक व्यक्ति इस बात को निश्चित रूप से जान सकता है कि वह स्वर्ग जा रहा है?

हम आपको आमंत्रित करते हैं कि आप इस महत्वपूर्ण जानकारी को सुनें.

Ankerberg: हमारे कार्यक्रम में आपका स्वागत है. हम इस विषय पर बात कर रहे हैं कि आप इस बात के प्रति कैसे सुनिश्चित हो सकते हो कि आप अपना अनंत जीवन परमेश्वर के साथ बिताएंगे. क्या यह एक अच्छा विषय नहीं है? क्या यह कोई ऐसी बात नहीं है जिसे आप सचमुच में जानना चाहते हैं? अब, इस प्रश्न के कई पहलु हैं, और आज हम उन पहलुओं में से एक पर विचार करेंगे. जब आप लोगों से पूछते हैं, “क्या आप स्वर्ग जायेंगे?” ज्यादातर समय लोग यही कहेंगे, “हाँ” या “मुझे उम्मीद है, मैं जाऊँगा.” और फिर आप उनसे अगला प्रश्न पूछ लें कि, “एक व्यक्ति को स्वर्ग जाने के लिए कितना पवित्र होना चाहिए?” आपको कुछ रोचक जवाब प्राप्त होते हैं. इरविन, सच तो यह है कि आपके कार्यालय के एक सदस्य ने हमारे मसीही पुस्तक विक्रेता सम्मेलनों में से एक में सर्वेक्षण किया और कुछ रोचक जवाब प्राप्त किये. इसके बारे में हमें बताएं.

Lutzer: सही बात यह है कि उसने ये काम किया कि वह एक खेमें से दुसरे खेमें में गया वहाँ पर वे थियोलोजियन थे जो किताबें लिखते हैं और हम सबसे से उम्मीद की जाती है कि हम उनकी किताबें पढ़ें और उसने यह प्रश्न पूछा, “स्वर्ग में जाने के लिए आपको कितना अच्छा होने की जरुरत है?” और उसके परिणाम चकित करने वाले थे. बहुत से लोगों ने कहा, “सच यह है कि मैं उतना अच्छा नहीं हूँ” या “मैं वहाँ नहीं जा पाऊँगा.” कुछ अन्य लोगों ने कहा “सच तो यह है कि मसीही लोग सिद्ध नहीं हैं. उन्हें तो सिर्फ माफ़ किया गया है.” लगभग दस या बारह लोगों में से सिर्फ एक ने ही बाइबल के अनुसार जवाब दिया, जो कि साफ तौर पर यह है कि आपको परमेश्वर की तरह सिद्ध होने की जरुरत है.

जॉन, अब इस कार्यक्रम को सुनने वालों में आज कुछ ऐसे लोग होंगे जो प्रोटेस्टेंट होंगे और कुछ लोग कैथोलिक भी हो सकते हैं! लेकिन प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक कम से कम एक बात पर सहमत हैं, बल्कि कई बातों पर सहमत हैं, लेकिन सब लोग एक बात पर जरुर सहमत हैं कि आपको स्वर्ग जाने के लिए ऐसा सिद्ध होना चाहिए जैसा कि परमेश्वर खुद है. एक धर्मी परमेश्वर लोगों को तब तक कैसे स्वीकार कर सकता है जब तक कि वो परमेश्वर के जितने पवित्र नहीं हो जाते हैं? समझने वाली बात यही है. यह बात तार्किक और बाइबल आधारित भी है.

Ankerberg: समस्या यह है कि अगर आप वास्तव में इसके बारे में सोचेंगे तो आप यही कहेंगे कि, “क्या मैं सिद्ध हूँ?”

Lutzer: आप कल्पना कर सकते हैं कि ऐसे कुछ लोग होंगे जो इस कार्यक्रम को सुन रहे होंगे और जो इसको अब बंद करना चाह रहे होंगे. वो कहेंगे, ‘ये बेवकूफी की बात है. क्योंकि ऐसी सिद्धता किसमे पाई जा सकती है. इतना सिद्ध कौन हो सकता है?” और क्या मैं यह कहूं कि अगर कोई व्यक्ति इस कार्यक्रम को सुन रहा हो और वह यह सोचता है कि वह सिद्ध है तो उसे बस एक ही काम करना होगा कि उसे इस बात की पुष्टि अपनी पत्नी से करा लेनी चाहिए, तो फिर वो उसके धर्मज्ञान में उसकी मदद कर सकेगी और उसे यह अहसास होगा कि वो गहरी मुसीबत में है. हम सब ही गहरी मुसीबत में हैं क्योंकि हम सब ही सिद्धता से बहुत दूर हैं.

अतः मैं एक ऐसे व्यक्ति की कहानी बताऊँगा जो इस कठिनाई से जूझ रहा था, और उसका नाम था मार्टिन लूथर. अब, कुछ लोग सुनना बंद करना चाहेंगे क्योंकि वो कहेंगे, “ओह, मार्टिन लूथर तो बहुत बड़ा विरोधी कैथोलिक था, इत्यादि.” चाहे लूथर के बारे में कोई कुछ भी क्यों न सोचता हो, उन्हें इस हिस्से को सुनना ही होगा. यहाँ पर वो व्यक्ति है जो एरफर्ट मठ में अपना नाम इसलिए लिखाता है क्योंकि मूल रूप से वो अपनी आत्मा को बचाना चाहता था. वो क्या करना चाहता था – खुदा का शुक्र है कि मध्ययुग के धर्मविज्ञान में कम से कम यह सिखाया जाता था कि एक व्यक्ति को स्वर्ग जाने के लिए परमेश्वर के जितना सिद्ध होना जरुरी है – तो वो क्या करना चाहता था, वो सिद्ध होने के लिए इतनी कोशिश करना चाहता था कि परमेश्वर उसे स्वीकार कर सके. उसने चर्च के सारे अनुशासनों का पालन किया. वह खुरदरे फर्श पर बिना कम्बल के सोया ताकी वह शरीर को कष्ट दे सके. उसने भिक्षावृति की. उसने गरीबी में गुजरा किया. उसने वो सब किया जो वो कर सकता था. कभी कभी वो इतना उपवास रखता था कि लोग सोचते थे कि वो मर जाएगा.

अब इन सबके साथ में चर्च के अनुष्ठान उसे कुछ तसल्ली देते थे, खास तौर से पाप-अंगीकार. उसकी समस्या यह थी कि दिन में छह घंटे तक तो वो अपने पाप ही मानता रहता था, जब तक कि एक दिन उसके अंगीकारकर्ता स्तौपित्ज़ जो इस सबसे बहुत थक गया था, उसने उससे यह कहा कि, “लूथर! अगली बार जब कोई बड़ा पाप हो तब ही तुम यहाँ आना, इन सब छोटी-मोटी गलतियों और पापों के लिए नहीं.” लेकिन जॉन, लूथर अपने समवर्तियों में से एक बड़ा अच्छा धर्मवैज्ञानिक था क्योंकि वो उस बात को समझता था जिसे की हमारी आज की पीढ़ी भूल चुकी है: इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि पाप बड़ा है कि छोटा है. एक छोटी चुटकी जितना पाप भी आपको परमेश्वर से हमेशा के लिए अलग कर देगा.

इसलिए वो अपने सारे पाप मानना चाहता था मगर वो एक समस्या में पड़ गया था. पाप का अंगीकार करने के लिए उसे याद रखा जाना जरुरी है. यदि वो उन्हें याद नहीं रखता है या उन्हें याद नहीं कर पाता है तो, वह उन्हें अंगीकार नहीं कर पाएँगा और फिर उनकी क्षमा भी नहीं हो पायेगी. इसके अलावा कुछ ऐसी बातें हो सकती हैं जिन्हें परमेश्वर तो पाप के रूप में गिनता हो लेकिन लूथर उन्हें पाप न समझता हो. और इसके अलावा एक और समस्या थी. ये कुछ इस तरह थी कि जैसे पानी की टोंटी के खुला रहते हुए फर्श को पोंछना, क्योंकि कल फिर एक नया दिन आएगा. अगर आज आप अपने सारे पापों को मान लेते हैं तो कल फिर नए पाप होंगे जिन्हें मानना जरुरी होगा और यह अंतहीन रूप से चलता रहता है. वह एक ऐसे संधर्ष से गुजर रहा था जिसे जर्मन भाषा में anfechtungen -कहते हैं जिसका मतलब है “मन की बेचैनी और असहायता का हमेशा बरक़रार रहना.”
क्या मैं आपको बाकी कहानी भी बताऊँ?

Ankerberg: कृपया.

Lutzer: क्योकि, शुक्र है इसका अंत यहीं नहीं हुआ. उसने क्या किया कि वह आख़िरकार एक छोटे कसबे विटेनबर्ग में एक शिक्षक बन गया, और स्तौपित्ज़ उससे मिलने के लिए आया. क्योंकि वह नैतिकशास्त्र और दर्शनशास्त्र पढ़ा रहा था, इसलिए स्तौपित्ज़ ने कहा, “आप धर्मविज्ञान क्यों नहीं पढ़ाते. इससे आपके मन को सहायता मिलेगी” क्योंकि वह एक बेचैनी से गुजर रहा था. मेरा मतलब है वह रोम गया था और वहाँ भी उसे शांति नहीं मिली थी. तब लूथर ने कहा, “अगर मैं बाइबल सिखाना शुरू कर दूंगा तो मैं मर ही जाऊँगा.” उसने इस बात का अहसास नहीं किया कि एक तरीके से ये भी उसकी मौत ही थी. अतः वह भजन संहिता पर व्याख्यान देने लगा. और जब वह भजन 22 पर पहुंचा: “हे मेरे परमेश्वर, हे मेरे परमेश्वर, तूने मुझे क्यों छोड़ दिया?” तब लूथर ने इस बात को महसूस किया कि यीशु भी उसी अनुभव से गुजरा जिससे वह स्वयं गुजर रहा था, जो कि परमेश्वर से दूर होने का अहसास था. और फिर उसे समझ आया, “यह सब उसने मेरे लिए किया.”

लेकिन अभी भी सच्चाई उसके मन पर तब तक पूरी तरह से प्रगट नहीं हुई जब तक कि उसने रोमियों की पुस्तक के पहले अध्याय के मशहूर पद 16 को नहीं पढ़ा, पौलूस कहता है, “क्योंकि मैं सुसमाचार से नहीं लजाता,” लेकिन पौलूस आगे पद 17 में कहता है, “क्योंकि उस में परमेश्वर की धार्मिकता विश्वास से और विश्वास के लिये प्रगट होती है; जैसा लिखा है, कि विश्वास से धर्मी जन जीवित रहेगा.” इस बात पर ध्यान दें कि परमेश्वर की ओर से एक धार्मिकता प्रगट हुई है. लूथर ने उसे पढ़ा और काँप गया. उसकी समस्या परमेश्वर की धार्मिकता थी. अगर परमेश्वर इतना धर्मी नहीं होता तो, उसे प्रसन्न करना बड़ा आसान होता, सही है ना? लेकिन वो इस पद पर तब तक मनन करता रहा जब तक कि उसे इससे अपना कुछ नाता महसूस नहीं होने लगा और उसने कुछ महसूस किया. धार्मिकता परमेश्वर का एक गुण है, लेकिन जो उस पर विश्वास करते हैं यह उनके लिए परमेश्वर की ओर से एक वरदान भी है. एक धर्मिकता है जो परमेश्वर हमारे ऊपर रखता है जो की उसकी स्वयं की धर्मिकता है, और जो की मसीह में विश्वास रखने के द्वारा हमारे हिस्से में आ जाती है.

इसमें कोई आश्चर्य नहीं कि लूथर ने यह कहा कि जब उसने इसको पढ़ा तो उसका नया जन्म हुआ और उसे मानों ऐसा लगा जैसे वह स्वर्ग के फाटक के अन्दर प्रवेश कर गया हो. क्योंकि आखिरकार वो अब परमेश्वर की सभी मांगों को पूरा कर सकता था क्योंकि यीशु उसकी तरफ से परमेश्वर की सारी मांगों को पूरी करने वाला था. अब जो सिद्धता अनुष्ठानों और अच्छे कार्यों के द्वारा ढूँढी जा रही था, वह सब तो अब एक तरफ हो गये थे क्योंकि अब कोई परमेश्वर की धर्मिकता को कमा नहीं कर सकता था, उसे तो वह अब दान में मिलने वाली थी. ये कितना क्रांतिकारी विचार है – एक बाइबल आधारित विचार, लेकिन अविश्वसनीय रूप से क्रांतिकारी. क्योंकि जो चीज़ लूथर ने देखी वो यह थी कि हम इंसानी रूप से जितनी भी धार्मिकता कर लें, उन सबको एक साथ भी मिला दिया जाये तौभी ये परमेश्वर की धर्मिकता को पूरा नहीं कर सकते, जैसे कि आप लाखों केलों को एक साथ मिलाकर उनसे एक संतरा नहीं बना सकते, ठीक उसी तरह हमारी सारी धार्मिकता को मिलाकर भी परमेश्वर की धार्मिकता को प्राप्त नहीं किया जा सकता. अगर हमें परमेश्वर की धार्मिकता को हासिल करना है तो यह हमें वरदान में ही मिल सकती है.

जॉन, अब इसका बढिया हिस्सा ये है, और मैं उम्मीद करता हूँ जो हमें सुन रहे और देख रहे है उनमें से हरेक इसे समझेगा क्योंकि ये जो है वो सुसमाचार का हृदय है. बाइबल 2 कुरिन्थियों 5:21 में यह कहती है, “जो पाप से अज्ञात था, उसी को उस ने हमारे लिये पाप ठहराया, कि हम उस में होकर परमेश्वर की धार्मिकता बन जाएं.” तो फिर आपको क्या मिला, कि हमारा पाप मसीह पर डॉल दिया गया. व्यक्तिगत रूप से वह पापरहित है, लेकिन कानूनन रूप से, वह व्यभिचार और फिरौती और बाल शोषण और नशा और स्व-धार्मिकता और हमारे उन सभी पापों का दोषी बन जाता है जिनसे परमेश्वर घृणा करता है. हमारा पाप उस पर डॉल दिया गया है. उसकी धार्मिकता और शुद्धता हम पर डॉल दी गई है. अतः उसे वो मिलता है जिसके कि वो लायक नहीं है – जैसे कि हमारे पाप; हमें वो मिलता है जिसके कि हम लायक नहीं हैं – जैसे कि उसकी धार्मिकता.

और सुसमाचार तो यही है: सिर्फ विश्वास से धर्मी ठहरना. परमेश्वर हमारे लिए धोषणा करता है – यह स्वर्ग में की गई एक धोषणा है – जितना धर्मी मसीह खुद है, परमेश्वर हमें उतना ही धर्मी घोषित करता है, क्योंकि मसीह की धार्मिकता पापियों को दे दी जाती है. और कानूनन रूप से, परमेश्वर की दृष्टि में, हम उतने ही सिद्ध हैं जितना सिद्ध परमेश्वर खुद है. और जॉन, इसके बिना किसी का उद्धार नहीं है – जब तक कि परमेश्वर की धार्मिकता उसे न दी जाये. सुसमाचार की खुशखबरी यही है.

Ankerberg: यह बताइए कि लूथर ने जो धार्मिकता यह जानने के बाद प्राप्त की कि धर्मशास्त्र उस विषय पर क्या कह रहा था, उस धार्मिकता को कोई कैसे प्राप्त कर सकता है.

Lutzer: पहली बात यह है, कि हमें इस बात को पहचानना है कि उद्धार में हमारे कार्यों का कोई योगदान नहीं है. क्योंकि मैंने पहले ही इस बात पर जोर दिया है कि जो धार्मिकता परमेश्वर कबूल करता है वह उसकी खुद की ही है – यह एक ऐसी धार्मिकता है जो हममें से किसी के पास नहीं है! हमारे सारे अच्छे काम दागदार हैं, यहाँ तक कि “हमारी धार्मिकता भी मैले चिथड़ों के समान है,” नए नियम और यशायाह की पुस्तक में इस प्रकार कहा गया है, “सबने पाप किया है और परमेश्वर की महिमा से रहित हैं” [रोमियो 3:23]. हाँ, इसमें कोई संदेह नहीं कि कुछ लोगों ने दूसरों से अधिक बुरे पाप किये हैं. लेकिन सबने ही पाप किये है. तो अब होता यह है कि जो कुछ हम ढूंढ रहे थे यीशु हमारे लिए वो सब कुछ बन जाता है. यदि मुझे परमेश्वर का बच्चा बने रहना है और उसकी संगति में रहना है तो परमेश्वर दिन के चौबीस घंटे मुझ से सिद्धता और पवित्रता की मांग करता है. चौबीस घंटे यीशु वह उपलब्ध कराता है जिसकी परमेश्वर मांग करता है. क्या यह अद्भुत बात नहीं है?

Ankerberg: यह शानदार है.

Lutzer: मेरा मतलब है, आप कुछ ऐसी बात कर रहे हैं जिसके लिए मैं अपनी जान भी दे सकता हूँ, सारी बातें ऐसी नहीं होतीं जिनके लिए मैं अपनी जान दे दूँ, लेकिन जो बात अब मैं कह रहा हूँ उसके लिए मैं अपनी जान दे सकता हूँ. क्योंकि इसने मेरे जीवन पर असर किया है, इसने मेरे जीवन को बदल दिया है. और ये कोई ऐसी बात नहीं है जिसे आप बस सिर्फ किसी सम्मलेन में ही अनुभव करें. ये कुछ ऐसी बात है जो मुझे प्रतिदिन स्फूर्ति देती है, जैसा कि गीत के लेखक ने लिखा है कि, “उसके सिंहासन पर ही मेरा आश्वासन है, मेरा नाम उसके हाथों पर लिखा है.” मैं यह सोच सकता हूँ कि मैं कानूनन रूप से अभी से ही स्वर्ग में हूँ क्योंकि ऐसा लिखा है कि मसीह में हम साथ ऊपर उठाये गए और हम यीशु के साथ बिठाये गए हैं, और यीशु अब पिता के सामने मेरा प्रतिनिधित्व करता है. और आपको पता है इसका मतलब क्या है? इसका मतलब है मौत के वक्त सीमा पर कोई हडकंप नहीं होगा क्योंकि आप देखिये, हम कानूनन रूप से पहले से ही स्वर्ग में हैं. जब ये बात लूथर को समझ आई तो उसने जिस पहली धर्मशिक्षा को मानना छोड़ दिया वो थी शुद्धिस्थल, क्योंकि शुद्धिस्थल की शिक्षा इस सोच पर आधारित थी कि किसी की भी मृत्यु इतने धर्मी के रूप में नहीं होती है कि वो स्वर्ग जा सके. अब उन्हें यह बात समझ आ गई थी कि स्वर्ग जाने के लिए उन्हें सिद्ध होना जरुरी है. परमेश्वर का शुक्र है कि मध्ययुग के धर्मज्ञान को यह बात समझ आ गई थी, जो कि हमारी पीढ़ी ने भुला दी है. और किस तरीके से आप स्वर्ग में जाते हैं, आप देखिये कि आप असिद्ध रूप में मरते हैं और आप शुद्धिस्थल में पहुँच जाते हैं, जहाँ पर आपको आग इत्यादि से शुद्ध किया जाता है. ये तो नहीं पता कि कितनी समय के बाद, पर आखिरकार परमेश्वर कहता है, “अब तुम सिद्ध हो गए हो. अब तुम अन्दर आ सकते हो.”

जो बात लूथर को समझ आई वो ये थी: अगर इसी जीवन में परमेश्वर की धार्मिकता मुझ पर लागू हो जाती है तो मैं इसी जीवन से सीधे स्वर्ग जा सकता हूँ और परमेश्वर की हुजूरी में ऐसा सिद्ध प्रस्तुत किया जा सकता हूँ जैसा कि यीशु स्वयं है, क्योंकि मैं पूरी तरह से यीशु की योग्यता के आधार पर ही बचाया गया हूँ, न की अपनी खुद की धार्मिकता के आधार पर. यह यीशु मसीह के सुसमाचार की खुशखबरी है.

Ankerberg: और ये एक बड़ी अच्छी खबर है और इसके प्रभाव शानदार हैं. हम एक ब्रेक लेनेवाले हैं और लौटने पर, हम उन प्रभाव पर चर्चा करेंगे और यह इतनी शानदार बात है जिसका अर्थ है कि मैं निश्चित रूप से यह जान सकता हूँ कि मेरा उद्धार हो चुका है और मैं अनंत रूप से यह जान सकता हूँ कि उद्धार पाने के द्वारा मैं सुरक्षित हूँ और मैं चाहता हूँ कि जब हम वापस आएंगे तो आप इस बात का जवाब दें कि ऐसा क्यों है.

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Ankerberg: ठीक है हम वापस आ गए हैं, और हम डॉ. इरविन लुत्ज़र से बात कर रहे हैं, जो मूडी मेमोरियल चर्च शिकागो में पासबान हैं. हम सिर्फ विश्वास द्वारा धर्मी ठहरने के विषय में बात कर रहे थे. जो बात लूथर ने धर्मशास्त्र में से जानी हम उसके बारे में बात कर रहे थे, जो कि आज मेरे और आपके लिए बड़ी प्रासंगिक है. जो बात आप कह रहे हैं उसके बारे में मेरे पास आगे की जानकारी प्राप्त करने के लिए कुछ प्रश्न हैं, उनमें से एक है कि लोग कह सकते हैं, “देखिये, अगर आप जो कह रहे हैं कि मसीह की धार्मिकता मुझ पर कानूनन रूप से उसी वक्त लागू हो जाती है जबकि मैं उसे ग्रहण करता हूँ तो, क्या इसका मतलब यह है कि मैं मसीह को स्वीकार करने के बाद शैतान की तरह जीवन बिता सकता हूँ?”

Lutzer: आपको पता है जब लोग इस प्रश्न को करते हैं तो मुझे अच्छा लगता है, और मैं बताऊँगा कि क्यों अच्छा लगता है. पहली बात तो यह है कि इस प्रश्न को तक़रीबन वो ही व्यक्ति पूछेगा जिसने कभी सुसमाचार को ग्रहण नहीं किया है. और आपको पता है, इसका कारण यह है कि वे इसके आशय को समझ नहीं पाते हैं. आपको पता है रोमियो की पत्री में पौलूस प्रेरित जब सुसमाचार को समझा रहा था तो उसे पता था कि जो अविश्वासी उसके लेख को पढेंगे वो भी इसी नतीजे पर पहुचेंगे. और इसीलिए प्रेरित पौलूस कहता है, “तो क्या हम पाप करते रहें कि अनुग्रह बहुत हो?” [रोमियो 6:1] आपको मालूम है पौलूस प्रेरित यह कहता है क्योंकि जब एक आम आदमी सुसमाचार को सुनता है तो वो सोच सकता है, “कितना अच्छा सौदा है! मैं यीशु में विश्वास करूँ, और मैं एक शैतान की तरह जीवन बिताऊँ; मैं दोनों जहाँ का आनंद ले सकता हूँ.” जो बात छूट जाती है वो यह है कि इसका मतलब नहीं समझा जा रहा. हम परमेश्वर के द्वारा न सिर्फ स्वर्ग में धर्मी घोषित किये गए हैं, जो कि धर्मी ठहराया जाना हैं. उसी के साथ – मैं विश्वास करता हूँ कि हम अपने अगले कार्यक्रम में पूरी तरह से इसी विषय पर बात करेंगे – उसी के साथ साथ – हम आत्मा के द्वारा नया जन्म भी पाए हुए भी हैं, जिसका मतलब है कि परमेश्वर हमें नई इक्षाएं, नई चाह और उसकी सेवा करने की एक इक्षा देता है, और हम भिन्न लोग बन जाते हैं. “अगर कोई मनुष्य मसीह में है, वह एक नई सृष्टि है. पुरानी बातें बीत गईं और देखो सब कुछ नया हो गया” [2 कुरि. 5:1]. अतः इसका जवाब यहाँ है. और अगर हम परमेश्वर के बच्चे होने के बावजूद दुनिया की तरह जीवन बिताएंगे और अपने पुराने पापों में वापस जाएंगे, तो परमेश्वर हम पर कार्य करेगा; परमेश्वर हमें अनुशासित करेगा; परमेश्वर हमारे हृदयों में कार्य करेगा. वह हमें इस तरह जाने नहीं देगा क्योंकि उसकी इच्छा है कि हमारे पुराने पाप हम से दूर हो जाएँ और नये जीवन की चाल चलें.

Ankerberg: सिक्के को पलटिये. जो व्यक्ति यह कहता है: “देखो मैं परमेश्वर के साथ एक वायदा करना चाहता हूँ. जितना अच्छा हो सके मैं उतना उसकी सेवा करूँगा.” वे सच्चे है. लेकिन वे सचमुच में सुसमाचार को समझ नहीं पाए हैं. और जो लोग इस तरह से लोगों को आमंत्रित करते हैं कि: “मैं चाहता हूँ कि आप आगे आयें. मैं चाहता हूँ कि आप यह वायदा करें कि आप हमेशा उसकी सेवा करेंगे” और फिर कोई इस तरह से जवाब देता है, “देखो अगर मैं वास्तव में सच्चा हुआ तो मैं ऐसा जरुर करना चाहूँगा, लेकिन भाई मैं आपको अपने कल के बारे में नहीं बता सकता,” इस उद्धार में एक व्यक्ति हमेशा के लिए कैसे सुरक्षित हो सकता है?

Lutzer: ये तो बहुत ही बढ़िया प्रश्न है. मुझे याद है एक बार एक सुसमाचार प्रचारक ने इस प्रकार कहा, “आप आगे आकर यह वायदा क्यों नहीं करते कि आप यीशु के पीछे चलेंगे.” वायदा करो कि आप यीशु के पीछे चलोगे?! जॉन, मैं और आप, बहुत समय से यीशु को जानते हैं पर हमें उसके पीछे चलने में संघर्ष करना पड़ता है. क्या आप कल्पना कर सकते हो कि कोई ऐसा व्यक्ति है जो कह रहा है, “ओह , मैं यीशु के पीछे चलूँगा”? ये सुसमाचार नहीं है. जब आप यीशु के पास आते हो, आप कोई वायदा करने के लिए नहीं आते हो कि आप उसके पीछे चलोगे. आप किसी भी तरह का वायदा करने के लिए नहीं आते हैं. आप तो कुछ प्राप्त करने के लिए आते हैं. जैसा कि यह गीत कहता है, “मैं अपने हाथों में कुछ नहीं लेकर आता, मैं तो बस तेरे क्रूस से लगा रहता हूँ.”

उद्धार का मतलब है मैं अपनी सारी कोशिशों का त्याग करता हूँ, यहाँ तक कि परमेश्वर से कोई वायदा भी नहीं करता कि मैं ए, बी, सी, या डी करूँगा. इसका मतलब है मैं अपनी सारी जरूरतों, अपने सारे पापों, के साथ जैसा मैं हूँ वैसी ही हालत में परमेश्वर के पास आता हूँ. लेकिन मैं अपना विश्वास किसी ऐसे प्रभु में रखने आया हूँ जो मुझे बचा सकता है और मुझे ऐसी धार्मिकता दे सकता है जिसकी जरुरत मुझे पवित्र परमेश्वर के सामने खड़ा होने के लिए पड़ती है. और विश्वास की सरलता यही है, भरोसे का स्थानांतर – यहाँ पर किसी तरह के कोई मसीह और ये धर्म संस्कार; मसीह और मेरे अच्छे कार्य; मसीह और ये सब बातें नहीं है. जितना अधिक हम यीशु मसीह और सुसमाचार की सच्चाई और जो कुछ उसने हमारे लिए क्रूस पर किया, इन सबको देखते हैं, उतना ही बड़ा विश्वास हमारे हृदय में उत्प्रेरित होता है, और भरोसा इस बात से आता है कि यीशु मसीह ने सब कुछ चुका दिया है.

मैं अक्सर यह कहता हूँ, और मैं एक अन्य भाग में इसे फिर बताऊँगा क्योंकि हम इस आश्वासन और संदेह के विषय पर बात करेंगे, लेकिन यहाँ पर भी मैं यह कहना चाहता हूँ. यदि आप यह विश्वास करते हैं कि यीशु क्रूस पर इसलिए मरा ताकी वह परमेश्वर के सामने खड़े होने के लिए आपको पड़ने वाली किसी भी जरुरत को पूरा करने के लिए सब कुछ कर सके. उसने आपके लिए वो सब कुछ कर दिया जिसकी कभी भी आपको परमेश्वर के सामने खड़े होने के लिए जरुरत पड़ेगी, और अगर आप उसे अपने लिए स्वीकार करते हैं, तो आप जान जायेंगे कि आप बचा लिए गए हैं. क्यों? क्योंकि यह आपकी योग्यता पर आधारित नहीं है, लेकिन 100% रूप से यीशु की योग्यता पर निर्भर है. देखिये, जॉन, अगर मैं सोचूं कि 95% उद्धार परमेश्वर की तरफ से है और इसमें 5% मेरा प्रयास शामिल है, तब मुझे निश्चय कैसे होगा? मैं अपनी 5% की समीकरण पर भरोसा नहीं कर सकता. जब मैं देखता हूँ कि यीशु ने इस सब की कीमत चुका दी और कहा, “पूरा हुआ,” जब मैं उसके द्वारा किये गए अद्भुत कार्यों और जो उस पर विश्वास और भरोसा करते हैं उनके लिए उसकी परिपूर्णता को देखता हूँ, तो मैं अपने आपको परमेश्वर की हुजूरी में ऐसे स्वीकार किया गया पाता हूँ जैसे कि यीशु को स्वीकार किया गया. और यही तो सुसमाचार की खूबसूरती है.

Ankerberg: चलिए मैं आपके साथ अनुग्रह की जाँच करता हूँ. यहाँ पर लोग है जो कार्यक्रम को सुन रहे हैं, बचाए जाने से पहले, इनमें से कुछ लोग उद्धार पाने के लिए अपने अच्छे कार्यों को जोड़ने की कोशिश कर रहे होंगे. लेकिन फिर जब कोई व्यक्ति यह कहता है, “नहीं, ये पूरी तरह से परमेश्वर का दान है, और मैं यहाँ पर हूँ, लेकिन मेरे जीवन में कल भी आयेगा. अगर मैं यीशु में पूरा विश्वास करूँ और कल फिर पाप करूँ तो क्या होगा. तो फिर क्या उस समय मुझे कुछ करना पड़ेगा? मेरे कामों की जरुरत कब पड़ेगी? पहले? या बाद में? मुझे बताइए कि मैं अनंतकाल तक सुरक्षित रूप से क्यों बचा लिया गया हूँ?”

Lutzer: पहली बात तो यह है, चलो यह बात कहते हैं कि ठीक है, माना आप आज यीशु मसीह को ग्रहण करते हैं और आप कल कोई पाप करते हैं. सच तो ये है कि अगर आप आज उसे ग्रहण करते है तो हो सकता है आप आज शाम को ही कोई पाप कर दें, क्योंकि हम सब पाप करते हैं. मेरा मतलब है हम सब विचारों में, शब्दों में और अक्सर कर्मों में पाप करते हैं. साधारण तथ्य यह है कि, आप अपना पाप मानते हैं, और संगति को बनाये रखने के लिए पाप-अंगीकार की जरुरत है. वैसे जॉन, ये एक अच्छा विचार है. जब लूथर एक बार में छः घंटे तक एरफर्ट मठ में पाप-अंगीकार किया करता था तो भी उसका उद्धार नहीं हुआ. ऐसे बहुत से लोग हैं जो कलीसिया में निरंतर अपने पापों को मानते रहते हैं और जिनका उद्धार नहीं हुआ है. आप अपने पापों को मानने के द्वारा उद्धार नहीं पाते हैं. आप यीशु को अपने पापों को उठाने वाले के रूप में और किसी ऐसे के रूप में स्वीकार करने के द्वारा उद्धार पाते हैं जिसपर आप परमेश्वर के साथ अपने मेल मिलाप करने वाले के रूप में भरोसा कर सकें. आप इसी तरह उद्धार पाते हैं. लेकिन बचा लिए जाने के बाद आप अपने पापों का अंगीकार करते है. मैंने आज सुबह अपने पापों का अंगीकार किया. तो यह मसीही जीवन का एक हिस्सा है. अंगीकार करने का मतलब यह है कि हम परमेश्वर के साथ सहमत होते हैं, हम परमेश्वर के साथ सहमत होते हैं कि हमने पाप किया है. हम इस बात के लिए सहमत होते हैं कि उसे हमारे जीवनों से पापों को लेने का अधिकार है और इसलिए, जैसे कि मुझे एक बच्चे के रूप में अपने माता-पिता के सामने गलतियों को मानना है ताकी हमारा मेल-मिलाप हो सके, हमने भी ठीक उसी तरह से मेल-मिलाप किया जैसे मसीही लोग करते हैं. लेकिन यह दोबारा उद्धार पाने के लिए नहीं है. जबकि मैं अनाज्ञाकारी था, मुझे अपनी संगति के सम्बन्ध में अपने पापों का अंगीकार करना था मगर मैं तब भी अपने पिता की संतान था.

और अब आश्वासन तब आता है जब हम यीशु को उसके एक कार्य के द्वारा समझ जाते हैं – और अगर जरुरत है तो हम यहाँ पर इब्रानियों 10 अध्याय को निकाल सकते हैं – यह इस प्रकार कहता है कि जो यीशु पर विश्वास करते हैं और जिन्हें शुद्ध किया गया है, उनको उसने अपने एक कार्य के द्वारा ही हमेशा के लिए सिद्ध बना दिया है [इब्रानियों 10:14]. और लूथर को एक ऐसे ही कार्य की जरुरत थी जो उसके सारे पापों को उठा ले जा सके, उसका परमेश्वर से मेल करा सके और फिर उसे सिर्फ यही करना था – और मुझे पक्का पता है, उसने यह किया होगा – कि वह अपनी संगति को बनाये रखने के लिए निरंतर अपने पापों का अंगीकार करे. लेकिन उसे फिर से उद्धार पाने की जरुरत नहीं थी; क्योंकि उस तरह के धर्मविज्ञान के साथ किसी को भी उद्धार का आश्वासन नहीं हो सकता है.

और इसलिए जैसा मैंने पहले बताया है कि जब हम अनाज्ञाकारी होते हैं तो परमेश्वर हमें अनुशासित करता है, लेकिन हमारे अन्दर गहराई में यह आश्वासन होता है – और इसके बारे में हम और विस्तार से बात करेंगे क्योंकि जो विचार दिमाग में आये हैं हम अभी उनके बारे में विस्तार से बात नहीं करना चाहते – लेकिन हममें गहराई से अन्दर बैठा हुआ एक आश्वासन है जो हमें यह बताता है कि हम परमेश्वर की संतान हैं और हम हमेशा के लिए परमेश्वर की संतान हैं.

Ankerberg: आइये अनुग्रह के बारे में एक और कदम आगे चलते है और यह उस व्यक्ति के लिए है जो कहता है, “लेकिन इरविन, आप मुझे नहीं जानते. मैं एक बहुत बड़ा पापी हूँ. आप किसी भी पाप का नाम ले लो मैंने सब किये हैं. आप जो कह रहे हैं वो सुनने में इतना अच्छा है कि सच नहीं लग रहा.” क्या यह वास्तव में इतना ही सच है? इसको समझाये.

Lutzer: क्योंकि हम रेडियो पर हैं इसलिए मुझे एक कैदी का पत्र प्राप्त हुआ जिसने कहा, “मैंने चार महिलाओं का बलात्कार किया है” और उसने कहा कि, “क्या मुझे माफ़ी मिल सकती है?” अब आपको पता है कि मेरी सहज प्रवृति कहेगी कि, “तुम तो नरक के लायक हो,” और वो है भी, लेकिन जॉन, फिर आप भी उसी लायक हैं और मैं भी उसी लायक हूँ. इसलिए मैंने उसको जवाब में यह लिखा, “मैं चाहता हूँ कि आप दो पगडंडियों की कल्पना करें. एक पगडण्डी वास्तव में बहुत ही गन्दी है. उसमें सब तरह के गड्ढे बने हैं और वो देखने में बड़ी भयानक लग रही है. दूसरी पगडण्डी बहुत सुन्दर है, उसमे कुछ फूल लगे हैं जिनको ठीक से संभाल कर रखा गया है. “आइये कल्पना करें कि 10 या 15 इंच बर्फ गिरती है और दोनों पगडंडियों को ढक लेती है. तो क्या फिर आप दोनों में कोई अंतर पता लगा सकते हैं? नहीं. दोनों पगडंडियाँ समान रूप से ढकी हुई हैं.

क्या यह बात अद्भुत नहीं है कि बाइबल पुराने नियम में भी कहती है कि, “यहोवा कहता है, ‘आओ हम आपस में वादविवाद करें : तुम्हारे पाप चाहे लाल रंग के हों, तौभी वे हिम के समान उजले हो जाएँगे ; और चाहे अर्गवानी रंग के हों, तौभी वे ऊन के समान हो जाएँगे” (यशा. 1:18). और अगर हम कहें कि यीशु मसीह की धार्मिकता बर्फ की तरह है, इस उदहारण का उपयोग करते हुए, कि बर्फ गन्दी पगडण्डी को ऐसे ही ढकती है जैसे कि स्वच्छ पगडण्डी को ढकती है, और इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आज हमें कौन सुन रहा है, चाहे वो कोई कैदी हो जिसने जुर्म किया हो, कोई बलात्कारी हो, चोर हो, हत्यारा हो, कोई फर्क नहीं पड़ता आज कौन सुन रहा है, लेकिन जॉन, जब वे मसीह पर उद्धारकर्ता के रूप में विश्वास करते हैं तो वे धार्मिकता का वही वरदान प्राप्त करते हैं जो आपने प्राप्त किया, यध्यपि आपका जन्म एक अच्छे मसीही परिवार में हुआ था और मेरा भी. और धन्यवाद हो कि हम गंदे जुर्म और पापों से बचे रहे. लेकिन सामान्य तथ्य यह है कि हम सबको परमेश्वर की धार्मिकता की जरुरत है और यह घिनौने पापियों के लिए भी दी गई है. आपको वो गीत मालूम है, वो वास्तव में सच है: “जिस क्षण कोई घिनौना पापी सच में विश्वास करता है उसी क्षण वह परमेश्वर से एक क्षमा प्राप्त करता है.” यह सब कुछ सिर्फ यीशु की वजह से हुआ. यही तो सुसमाचार का चमत्कार है.

Ankerberg: जो व्यक्ति आज मसीह पर विश्वास करना चाहता है वो अगले कार्यक्रम का इन्तजार न करे, क्या आप एक ऐसी प्रार्थना करेंगे जिसे वे आपके साथ दोहरा सकें ताकी वे अपना ईमान अपने स्वयं के ऊपर से हटाकर मसीह के ऊपर लगा सकें?

Lutzer: हाँ, हमारे पिता, आज हम सुसमाचार की सुन्दरता के लिए आपका धन्यवाद देना चाहते हैं. हम धन्यवाद करते हैं कि यह अच्छे से अच्छे लोगों को और बुरे से बुरे लोगों को भी उम्मीद देता है. हम आपका धन्यवाद करते हैं कि दोनों समूह के लोगों के लिए आपके पास केवल एक ही योजना है, क्योंकि सबने पाप किया और परमेश्वर की महिमा से दूर हैं (रोमियो 3:23). मैं आज उन लोगों के लिए प्रार्थना करना चाहता हूँ जो सुन रहे हैं, वो लोग जिनको पहली बार यह समझ आया है कि वे उद्धार प्राप्त कर सकते हैं, वे यीशु का धन्यवाद करें.

और अब मेरे प्रिय मित्र, आप इस तरह प्रार्थना कर सकते हैं: “परमेश्वर मैं जानता हूँ कि मैं एक पापी हूँ. मैं जानता हूँ कि मुझे मसीह को स्वीकार करना चाहिए. इस क्षण मैं यीशु को अपने पापों को उठाने वाले के रूप में विश्वास करता हूँ. मैं उसकी धार्मिकता को अपनी धार्मिकता के रूप में स्वीकार करता हूँ. इस बहुमूल्य वरदान के लिए आपका धन्यवाद.यीशु के नाम में, आमीन.”

Ankerberg: अगले सप्ताह हम इसके बारे में और अधिक बात करेंगे. इरविन, जिस चमत्कार की हम सबको जरुरत है हम उसके बारे में बात करेंगे. संक्षिप्त में, हम किस बारे में बात करेंगे?

Lutzer: यह वास्तव में नया जन्म पाने के बारे में है. यह विश्वास के द्वारा धर्मी ठहरने से किस प्रकार भिन्न है? और आज जब हमारे समाज में बहुत सारे लोग कहते हैं, “पता है उसका नया जन्म हुआ है,” तब बाइबल इस “नया जन्म” पाए मसीही के विषय में क्या सिखाती है?

Ankerberg: लोगों, ये बड़ी शानदार बात है. मैं उम्मीद करता हूँ आप हमारे साथ जुड़ेंगे.