आप इस बारे में कैसे सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप अपना अनंत जीवन परमेश्वर के साथ बिताएंगे?/कार्यक्रम 2

द्वारा: Dr. Erwin Lutzer; ©2003

इफिसियों 2: 8 कहते हैं: “क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ; और यह तुम्हारी ओर से नहीं वरन् परमेवर का दान है, और न कर्मो के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे.” अनुग्रह इतना अद्भुत क्यों है?

परिचय

आपका स्वागत है! मेरे पास सिर्फ एक महत्वपूर्ण प्रश्न है जो आज मैं आपसे पूछना चाहता हूँ. मैं सोचता हूँ यह किसी भी व्यक्ति द्वारा आपसे पूछा गया सबसे महत्वपूर्ण प्रश्न होगा. वो प्रश्न यह है. जब कभी आपकी मृत्यु का समय आयेगा – क्या आप को निश्चित रूप से यह मालूम है कि तब आप अपना अनंत जीवन परमेवर के साथ बितायेंगे? बाइबल कहती है, आप अपने हृदय में – इसी वक़्त – इस बात का पूर्ण आश्वासन प्राप्त कर सकतें हैं, कि आप परमेवर की एक संतान हैं, और जब कभी आपकी मृत्यु होगी, तो आप आज उद्धार पाए हुए हैं, कल भी उद्धार पाए हुए हैं और हमेशा के लिया उद्धार पाए हुए हैं. मेरे मेहमान होंगे डॉ. इरविन लुत्ज़र, जो की मूडी मेमोरियल चर्च शिकागो, इल्नोईस के वरिष्ठ पासबान हैं. इस महत्वपूर्ण प्रश्न का जवाब देने में आपकी मदद करने के लिए कि आप इस बात के प्रति कैसे सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप अपना अनन्त जीवन परमेश्वर के साथ बिताएंगे, हम इस प्रश्न पर अलग अलग तरीकों से विचार करेंगे. तो मैं उम्मीद करता हूँ कि आप ध्यानपूर्वक सुनेंगे.
________________________________________
Ankerberg: हम इस विषय पर बात कर रहे थे कि, “आप इस बात के प्रति कैसे सुनिश्चित हो सकते हैं कि आप अपना जीवन परमेश्वर के साथ बिताएंगे?” क्या इससे जरूरी कोई और बात हो सकती है? इस बात को आप पक्के तौर पर जानना चाहते हैं. अब कई लोग सोचते हैं कि इस बात को नहीं जाना जा सकता. बाइबल बताती है कि आप जान सकते हैं, और हम आपको बताएंगे कि क्यों और कैसे हम इसके बारे में पक्के तौर पर जान सकते हैं. वास्तव् में आज का हमारा विषय तो यह है कि, “अनुग्रह इतना अद्भुत क्यों है?”

हम इफिसियों 2: 8: “क्योंकि विश्वास के द्वारा अनुग्रह से ही तुम्हारा उद्धार हुआ है, और यह तुम्हारी ओर से नहीं, वरन परमेश्वर का दान है, और न कर्मों के कारण, ऐसा न हो कि कोई घमण्ड करे.” लेकिन मैं नहीं सोचता कि हम इन शब्दों की गहराई को समझते हैं. और मेरे अच्छे मित्र डॉ. इरविन लुत्ज़र जो कि मूडी मेमोरियल चर्च, शिकागो के पासबान हैं, और वे यहाँ मेरे साथ हैं. उन्होंने इस विषय पर एक बेहतरीन किताब लिखी है, जिस पर हम एक साथ मिलकर चर्चा करेंगे, और हमारा लक्ष्य ये है कि हम आपके साथ परमेश्वर के वचन की इन सच्चाइयों को बाँटें ताकी आपको एक संगीत सुनाई दे सके, ताकी आप जब यह समझ जाएँ कि वास्तव में अनुग्रह क्या होता है तो उसके द्वारा जो आनंद होता है वो आपको सुनाई दे सके!

अब इरविन मैं सोचता हूँ कि ‘अनुग्रह इतना अद्भुत क्यों है,’ इस विषय में प्रवेश करने का सबसे उपयुक्त तरीका यह होगा कि हम उस व्यक्ति के विषय में बात करें जिसने यह गीत लिखा.

Lutzer: “अमेजिंग ग्रेस” गीत सबको मालूम है. जो बात लोगों को नहीं मालूम है वो ये है कि इस गीत का सन्दर्भ क्या था. सबसे पहली बात तो यह कि जॉन न्यूटन एक नामी बदमाश था. सच तो यह है कि अगर उसे कोई ऐसा नया पाप करने का सुझाव देता कि जो उसने कभी किया न हो तो वह उसे ईनाम देने के लिए भी तैयार रहता था. वो कुछ इसी तरह का इन्सान था. ये 1748 की बात है, वह ग्रेहाऊण्ड नामक जलयान पर था. तब एक बहुत जबरदस्त तूफ़ान उठा. मेरा है मतलब जहाज क्षतिग्रस्त हो रहा था. ये लगभग तय था कि वे सब पानी में डूबने वाले थे. तब न्यूटन ने जहाज के कप्तान से कहा, “अगर परमेश्वर हम पर दया नहीं करेगा तो हम सब डूब जायेंगे.” तब कप्तान को बड़ा ताज्जुब हुआ, क्योंकि यहाँ जो व्यक्ति बात कर रहा था वो तो एक कठोर, गाली बकने वाला, नशेडी और गुलामों का व्यापार करने वाला व्यक्ति था, “अगर परमेश्वर ने हम पर दया न की तो, तो क्या?”

अब जब की सारे पुरुष यात्री उन पम्पों को चलाने की कोशिश कर रहे थे जिससे जहाज लगातार तैरता रहे. तब न्यूटन ने उस जहाज पर ही उस बाइबल को पढ़ना शुरू किया जो उसके पास थी और जो उसकी माँ ने उसको दी थी. अब जरा उस सन्दर्भ के बारे में सोचें. वह जो पढ़ रहा था वो नीतिवचन की पुस्तक से था. और उसने इसे इस तरह पढ़ा, “तुम मेरी डांट सुनकर मन फिराओ; सुनो मैं अपनी आत्मा तुम्हारे लिए उण्डेल दूँगी, मैं तुमको अपने वचन बताऊंगी. मैंने तो पुकारा परन्तु तुमने इंकार कर दिया, और मैंने हाथ फैलाया, परन्तु किसी ने ध्यान न दिया, वरन तुमने मेरी सारी सम्मति को अनसुनी किया, और मेरी ताड़ना का मूल्य न जाना; इसलिए मैं भी तुम्हारी विपत्ति के समय हँसूंगी; और जब तुम पर भय आ पड़ेगा, वरन आँधी के समान तुम पर भय आ पड़ेगा, और विपत्ति बवण्डर के समान आ पड़ेगी, और तुम संकट और सकेती में फँसोगे, तब मैं ठट्ठा करुँगी.” [नीति. 1:23 -27].

अर्थात, यह व्यक्ति मौत से डरा हुआ था.

Ankerberg: तुमने सही पहचाना.

Lutzer: हाँ, वो मौत से डरा हुआ था. तो जैसे कि हम अनुमान लगा सकते हैं कि तूफ़ान शान्त हो गया और यात्री बच गए. लेकिन न्यूटन ने उसके बाद लगातार बाइबल पढना शुरू कर दिया. मैंने अपनी पुस्तक में उसके शब्दों को जैसा उसने कहा था ठीक वैसा ही रखा है. क्या मैं उन्हें यहाँ पढ़कर सुना सकता हूँ?

Ankerberg: जरुर.

Lutzer: उसने कहा था, “मैं चाहता था कि कोई मेरे तथा पवित्र परमेश्वर के बीच में खड़ा होकर, मेरे पापों और निन्दाओं के दण्ड को सह ले. मैं चाहता था कि कोई ऐसा उद्धारकर्ता हो जो आगे आये और मेरे पापों को उठा ले. मैंने देखा कि मसीह ने मेरे पापों को ले लिया ताकी मुझे माफ़ी मिल सके.” तो फिर आश्चर्य नहीं कि उसने यह लिखा कि, “कितना अद्भुत अनुग्रह, कितनी प्यारी आवाज़ थी वो, जिसने बचाया मेरे जैसे घिनौने पापी को.”

लेकिन जॉन, इसके बावजूद भी ऐसे बहुत से लोग हैं जो यह नहीं समझते कि वास्तव में अनुग्रह कितना अद्भुत होता है. मुझे याद है शिकागो में एक समाचार-वाचक था जिसके कथन को एक अख़बार में इस प्रकार लिखा गया था: “अगर मैं अपने आत्मिक जीवन और परमेश्वर के साथ चलने के विषय में गंभीर हुआ तो मैं इसके बारे में जरुर कुछ करूँगा.” वास्तव में यहाँ वो यह कह रहा था कि, “अभी मैं अनुग्रह की स्तिथि में नहीं हूँ, लेकिन अगर मैं इसके लिए गंभीर हो गया तो जरुर कुछ करूँगा!”

जॉन, साधारण तथ्य यह है कि इस आदमी ने अभी भी अनुग्रह के स्वाभाव को नहीं पहचाना. क्योंकि हम अपने हालात के बारे में कुछ भी नहीं कर सकते, चाहे हम इसके बारे में कितना ही गंभीर क्यों न हो जाएँ. अगर हम इसके बारे में कुछ कर सकते हैं, तो इसका मतलब यह है कि अभी हम अनुग्रह को समझ ही नहीं पा रहें है, अनुग्रह – जो कि परमेश्वर की हमारे लिए एक अन-अर्जित कृपा है.

Ankerberg: ठीक है, इसके बारे में बात करते हैं और इसमें एक और श्रेणी जोड़ लेते हैं. ऐसे बहुत से लोग हैं जो कहते हैं, “आप जानते हैं कि अनुग्रह जरुरी है,” और परमेश्वर ने अनुग्रह की एक प्रक्रिया चला रखी है, लेकिन अनुग्रह की जो प्रक्रिया चल रही है, उसमें एक हिस्सा परमेश्वर के अनुग्रह का है और एक हिस्सा लोग जो कार्य करते हैं उनका है. लेकिन सच में उन्हें तो इसकी कोई जानकारी ही नहीं है.

Lutzer: नहीं, उनके पास नहीं है.

Ankerberg: उन्हें इसका कारण बताओ, क्योंकि वे इसका विरोध कर सकते है.

Lutzer: क्योंकि आप देखिये, बहुत से लोग सोचते हैं कि अनुग्रह हमारी मदद करता है. सच तो यह है कि हमें मदद की नहीं बल्कि हमें एक पुनरुत्थान की जरुरत है. आप जानते है इफिसियों 2 में प्रेरित पौलूस कहता है कि मसीह के पास आने से पहले, हम अपने अपराधों और गुनाहों में मरे हुए थे. अब, कल्पना करो कि आप कब्रस्थान में से गुजर रहें हैं, और आप कहते हैं, मैं वास्तव में चाहता हूँ कि इस कब्रस्थान में जितने मुर्दे हैं, जो लाशें हैं वो जिन्दा हो जाएँ. लेकिन पता है, मुझे इन्हें थोड़ी मदद देनी पड़ेगी. “नहीं, उन्हें मदद की जरुरत नहीं है. उन्हें परमेश्वर के हाथों से एक जबरदस्त चमत्कार की जरुरत है. वे मदद की सीमा से परे हैं. मसीह के बिना हम भी इसी तरह से हैं. इसके बारे में प्रेरित पौलूस बिलकुल साफ़ रीति से कहता है, “उसने तुम्हें भी जिलाया, जो अपने अपराधों और पापों के कारण मरे हुए थे जिनमें तुम पहले इस संसार की रीति पर, और आकाश के अधिकार के हाकिम अर्थात् उस आत्मा के अनुसार चलते थे, जो आज भी आज्ञा न मानने वालों में कार्य करता है.” (इफि. 2:1-2). वह कहता है, वास्तव में हम शैतान द्वारा ठगे गए हैं. हम इसे जानते नहीं हैं, मगर सच यही है. वो आगे यहाँ तक कहता है कि हम भ्रष्ट हो चुके हैं क्योंकि हम अपनी ही लालसाओं के अनुसार चल रहे हैं. और हमारी हालात यही है. अतः प्रश्न ये है कि हम ऐसे हालात में पड़े लोगों की मदद कैसे करेंगे? अब आप ये बात समझ लीजिये कि क्योंकि वे अपने अपराधों और गुनाहों में मरे हुए हैं तो इसका मतलब यह नहीं कि वे कोलोराडो में स्कीइंग के लिए नहीं जा सकते. इसका मतलब यह भी नहीं कि वे किराने की दुकान पर खरीदारी के लिए नहीं जा सकते या वे स्वरसंगीत सुनने नहीं जा सकते, या जीवन का आनंद नहीं उठा सकते या इस कार्यक्रम को नहीं सुन सकते. वे इन सब जगहों पर जा सकते हैं. लेकिन एक काम जो वे नहीं कर सकते वो ये है कि वो अपने आप को जीवन नहीं दे सकते. इसे परमेश्वर ही कर सकता है.

Ankerberg: देखिये, अनुग्रह के कई रूप हैं. परमेश्वर ही अनुग्रह के साथ – साथ चर्च संस्कारों को भी देता है. लोग कहते हैं कि अनुग्रह और कुछ संस्कार ही हैं जिन्हें करने के द्वारा वे स्वर्ग में पहुँच सकते हैं. और वे या तो चर्च अधिकारियों या अपने खुद के छोटे धार्मिक समूह के द्वारा इस बात के प्रति आश्वासित किये जाते हैं. इसके अलावा कुछ ऐसे लोग भी हैं जो कहते हैं, “मैं चर्च छोड़ने वाला हूँ, लेकिन मैं अच्छा इन्सान बना रहूँगा, और मैं अच्छा बना रहने की पूरी कोशिश करूंगा, इस बात के प्रति मैं बहुत गंभीर रहूँगा! मैं जानता हूँ कि हर कोई सिद्ध नहीं है, लेकिन जो काम मैं नहीं कर पाता हूँ, वहाँ परमेश्वर का अनुग्रह आ जाता है. लेकिन वह चाहता है कि मैं कोशिश करूँ. और क्योंकि मैं कोशिश कर रहा हूँ, इसलिए मैं इसे हासिल करके रहूँगा.

Lutzer: जॉन, मैं आपको यह बताना चाहता हूँ कि आपने जो अनुग्रह के अलग – अलग रूप बताये हैं, उन पर जो लोग विश्वास करते हैं वे वास्तव में न तो अपनी गंभीर जरुरत को समझ पाते हैं और न ही वे अनुग्रह के बारे में बाइबल आधारित कोई समझ ही रखते हैं. एक छोटी सी बात संस्कारों के बारे में कहना चाहूँगा: हम जानते हैं कि यीशु ने प्रभु भोज और बपतिस्मे की शुरुआत की, लेकिन कुछ लोग विश्वास करते हैं कि अनुग्रह इन संस्कारों के द्वारा संचारित होता है. लेकिन बाइबल इस बात के बारे में बिलकुल स्पष्ठ बात करती है कि आखिरकार परमेश्वर के साथ हमारी चाल परमेश्वर के ही हाथों में है न कि मनुष्य के या किसी धर्मगुरु के हाथों में. परमेश्वर सीधे मनुष्य के हृदय में कार्य करता है. ये तो वे संस्कार हैं जिन्हें यीशु ने ही शुरू किया, लेकिन वे किसी तरह से उद्धार के साधन नहीं हैं जिनके द्वारा आप बेहतर से बेहतर बनते चले जाएँ और आशापूर्वक रूप से किसी दिन इतने अच्छे हो जाएँ कि आप स्वर्ग में प्रवेश कर सकें.

और वो लोग जो ये सोचते हैं कि, “ठीक है, मैं अपना काम कर रहा हूँ परमेश्वर अपना काम करेगा,” जॉन, तुम्हें पता है एक दिन मैं एक रेस्तरॉ में था और एक स्त्री उस आदमी को जो उस दोपहर मेरे साथ को भोजन कर रहा था पहचान कर, हमारे ओर आई. वह एक धार्मिक अगुवा था. यद्यपि आप उसे जानते होंगे फिर भी मैं उनका नाम नहीं बताऊँगा. तब मैंने उस स्त्री से पूछा, “अगर आज आपकी मृत्यु हो जाये और परमेश्वर आपसे पूछे कि मैं आपको स्वर्ग में क्यों आने दूँ?,’ तो आप क्या बोलोगी?” और उसने कहा, “ओह, मैंने और मेरे पति ने नानबाई के विक्रय से 1200 डॉलर कमाए, और हमने वो सब समाज सेवा के लिए दे दिया!”

तो मैंने कहा, “ठीक है, क्या अगर परमेश्वर के मापदंड की तुलना अधिक है. आप तब क्या कहेंगे?”

“ठीक है, मैं एक अच्छी व्यक्ति रही हूँ.” और वह कहती रही. और फिर जो आदमी मेरे साथ था उसने एक कहानी सुनाई. उन्होंने कहा कि कोई स्वर्ग के दरवाजे के पास आया और पतरस ने कहा, “मैं तुम्हें क्यों अन्दर जाने दू?”

और फिर आदमी ने कहा “मैंने बपतिस्मा लिया है.”

और पीटर ने कहा,”ओह, तुम्हें पता है, कि वह 20 अंक है.”

और उन्होंने कहा, “मैंने एक अच्छा जीवन जिया है.”

“ठीक है, वो 30 अंक है. अब आप 50 अंक तक पहुच गए हैं. ”

तब उस आदमी ने कहा, “मैं नियमित रूप से चर्च जाता हूँ.”

“ठीक है, इसके 20 पॉइंट्स और हो गए. और अब आपके 70 पॉइंट्स हो गए.”

तब उस आदमी ने कहा, “सिर्फ 70 पॉइंट्स? बस इतने ही?”

और पीटर ने कहा, “ओह, आप बहुत भाग्यशाली हैं. आप केवल 70 अंक तक हैं, लेकिन परमेश्वर का अनुग्रह 30 अंक है. तो अब आप स्वर्ग में प्रवेश कर सकते हैं. ”

और मैंने उस आदमी और उस औरत को जो वहा खड़ी थी बताया कि अनुग्रह कि एस तरह कि कोई भी समझ नया नियम अनुग्रह के बारे में जो कुछ सिखाता है उन सब को पूरी तरह से कमजोर कर देगी.

Ankerberg: मैं सोचता हूँ आप विषय पर पूरी तरह से आ गए हैं, तो लोग कह सकते हैं कि, “मुझे लगता है, इरविन, मैं अनुग्रह की जिस परिभाषा को मानता हूँ, आप उससे कुछ अलग बात कर रहे हो. लेकिन मुझे ये भी नहीं पता कि परिभाषा क्या है. अब जबकि आप मूडी मेमोरियल चर्च के पासबान हो तो अब मैं ये प्रश्न आपकी ओर मुखातिब कर रहा हूँ. आपके अनुसार इसकी परिभाषा क्या है – जो आपके कहने के अनुसार बाइबल में पाई जाती है – ये अनुग्रह की कौन सी परिभाषा है जिस पर अभी तक चर्चा ही नहीं हुई है? आप कह रहे हैं कि ये सारी परिभाषाएँ गलत हैं, तो फिर आपके अनुसार अनुग्रह की सही परिभाषा क्या है?”

Lutzer: यहाँ पर मैं बाइबल खोलना चाहूँगा. हम इफिसियों 2 में हैं. पौलूस कहता है, “हम अपने अपराधों और गुणाहों में मरे हुए हैं” (पद 1) और वह पद 3 में कहता है, “हम स्वाभाव ही से क्रोध की संतान थे” और पद 4-5 में, “परन्तु परमेश्वर ने जो दया का धनी है, अपने उस बड़े प्रेम के कारण जिस से उसने हमें प्रेम किया, जब हम अपने अपराधों के कारण मरे हुए थे तो हमें मसीह के साथ जिलाया – अनुग्रह ही से तुम्हारा उद्धार हुआ है.”

जॉन, जो बात मैं सिद्ध करना चाह रहा हूँ वो ये है. अनुग्रह जो है वो परमेश्वर की अन-अर्जित कृपा है, लेकिन उसकी अन-अर्जित कृपा हमें अच्छा इन्सान बनाने या जो हमने किया है उसमें कुछ बढ़ोतरी करने में हमारी मदद नहीं करती. जब हम उद्धार की बात करते हैं तो यह पूर्णतः परमेश्वर का कार्य है. जब यीशु मसीह लाज़र की कब्र पर खड़ा हुआ था तो उसने यह नहीं कहा कि, “ठीक है लाज़र इस काम का कुछ हिस्सा तुम करो और कुछ हिस्सा मैं करता हूँ. अगर तुम अपना हाथ हिलाओगे तो, बाकी काम मैं कर दूंगा.” उसको तो सारा काम खुद ही करना था. और बाइबल कहती है कि उद्धार का कार्य भी शुरू से लेकर आखिर तक परमेश्वर का ही है. लेकिन जॉन मैं समझ सकता हूँ कि जो लोग आज हमें सुन रहें हैं उनमे से कोई कहेगा, “हाँ, लेकिन कम से कम मुझे विश्वास तो करना है,” और यह सच है; लेकिन यह विश्वास भी तो परमेश्वर का ही दिया हुआ है. अतः आज अगर सुनने वालों में से कोई विश्वास करना चाहता है, तो यह बहुत अच्छी बात है. और हमें तो प्रार्थना करनी चाहिए कि वे विश्वास करें. लेकिन उन्हें यह समझना चाहिए कि यह सब कुछ परमेश्वर की ओर से ही है. हमारा योगदान…क्या आप कुछ भी योगदान नहीं देते? हाँ, हम योगदान देते हैं. हम अपने पापों को देते हैं. लेकिन जब हम मेज पर आते हैं, तो हम अपनी बड़ी जरुरत के सिवा कुछ नहीं लाते हैं. अनुग्रह का मतलब है, मैं न सिर्फ एक अच्छा इन्सान बनना चाहता हूँ, बल्कि मैं एक चमत्कार के लिए आता हूँ. अनुग्रह का मतलब है, मैं इसलिए नहीं आता क्योंकि मैं सोचता हूँ कि सिर्फ थोडी सी मदद से मेरा काम बन जाएगा. मुझे छुटकारे की जरुरत है. और इसी वजह से अनुग्रह बहुत ही अद्भुत है.

Ankerberg: हम एक विराम लेंगे और जब हम वापस आएंगे तो सार में देखेंगे कि किस तरह से अनुग्रह परमेश्वर का एक तोहफा है, जो परमेश्वर ने खुद ही तैयार किया है, और खुद ही ख़रीदा है, और इसे आपके लिए उपलब्ध किया है, और आप चुपचाप इसे स्वीकार करने के सिवा कुछ नहीं करते हैं. ये बहुत बड़ी बात होती है, जब आपको यह समझ में आता है कि परमेश्वर ने आपके लिए क्या किया, और हम इस विषय पर बात करेंगे कि इस पैकेज में और क्या है, और परमेश्वर ने इसकी क्या कीमत चुकाई, साथ ही लोग इसे कैसे प्राप्त कर सकते हैं. तो हमारे साथ बने रहें, हम जल्द वापस आयेंगे.
________________________________________
Ankerberg: ठीक है हम वापस आ गए हैं. हम डॉ. इरविन लुत्ज़र से एक महत्वपूर्ण विषय, ‘आप कैसे सुनिश्चत या पक्के हो सकते हैं कि आप अपना अनंत जीवन परमेश्वर के साथ बिताएंगे’ पर बात कर रहे हैं. मैं सोचता हूँ कि आप इस बात को पक्के तौर पर जानना चाहते हैं, है ना? वैसे हमें इस विषय पर बात करनी है कि अनुग्रह क्या होता है. हाँ, यह हमारे लिए मुफ्त है. यह एक वरदान है जिसे परमेश्वर हमारे लिए तैयार और उपलब्ध करता है. लेकिन, इरविन, इस उपहार को प्रदान करने के लिए परमेश्वर को बहुत खर्च हुआ. आपके पास एक बहुत बढ़िया कहानी है जिसमे विभिन्न दिशाए है. इस कहानी के माध्यम से अनुग्रह के बारे में हमें बताएँ.

Lutzer: ठीक है, एक मिशनरी था जिसने एक हिन्दू व्यक्ति के साथ दोस्ती कर ली. और वास्तव में वे एक दूसरे का आदर करते थे, लेकिन दोस्ती का उद्देश्य यह भी था कि मिशनरी उस हिन्दू व्यक्ति को यह समझाना चाहता था कि उद्धार परमेश्वर का एक मुफ्त वरदान है. शायद मुझे यहाँ पर थोडा रुक कर इस बात पर जोर देना चाहिए कि यह वरदान मुफ्त क्यों है. यह ऐसा वरदान है जिसमें हमारा कुछ भी योगदान नहीं होता है. पूरी कीमत यीशु मसीह ने ही चुका दी है. लेकिन यह हिन्दू व्यक्ति इस बात को मान नहीं रहा था, क्योंकि उसके दिमाग के अनुसार, इसमें कुछ काम जुड़े होते हैं. लेकिन एक दिन जब मिशनरी एक यात्रा पर जा रहा था तो उस हिन्दू व्यक्ति ने इस मिशनरी को ऐसे सुन्दर मोती दिये, संभवतः जिन्हें कभी किसी ने देखा भी नहीं होगा. और उस हिन्दू व्यक्ति ने कहा कि, “यह मोती मेरे बेटे के हाथ में उस वक्त था जब वो इसे निकालने के दौरान पानी में डूब गया था.” और वह मिशनरी जो कि बहुत ही कृतज्ञ था, उसने कहा, “बहुत बहुत धन्यवाद, मैं तुम्हें इसकी कीमत चुकाना चाहता हूँ.”

और हिंदू, ज़ाहिर है, नाराज था. ” क्या मतलब है तुम्हारा भुगतान से?! क्या कोई कीमत है जो आप शायद इस मोती पर डाल सकते है जिसके कारण मेरे बेटे की मौत हो गयी है? ”

और फिर उस हिन्दू को यह बात समझ में आने लगी. यही कारण है कि जो कार्य यीशु ने क्रूस पर हमारे लिए किया हम परमेश्वर को उसकी कोई कीमत नहीं चुका सकते हैं. तब हम परमेश्वर के प्रेम और परमेश्वर के उस अनुग्रह की कीमत चुकाने की शुरुआत कैसे कर सकते हैं, जिसमें यीशु हमारे लिए एक बलिदान और हमारे पापों को उठा ले जाने वाला बन गया? और इसका मतलब क्या होता है, इस विषय पर हम अपने अगले कार्यक्रम में जोर देंगे. लेकिन हम फिर परमेश्वर को इसके बदले में क्या चुका सकते हैं? यही वजह है कि सम्पूर्ण अनंतकाल तक हम परमेश्वर के ऋणी रहने वाले हैं. और मैं सोचता हूँ, यही कारण है कि स्वर्ग स्तुति से इतना ज्यादा भरा हुआ होगा कि उसकी इस पृथ्वी पर हम कल्पना भी नहीं कर सकते, और यह कि अनुग्रह और सिर्फ परमेश्वर के अनुग्रह ही से हम बचाए गए हैं.

Ankerberg: इरविन, कुछ लोग इसको सुनने के बाद भी कहते हैं कि, “देखो, अब भी सच यही है कि मैं अपने पडोसी से अच्छा हूँ, ठीक है? क्या इसकी कोई कीमत नहीं? मेरा मतलब है, मुझे मेरे अपने प्रदर्शन के आधार पर अन्दर आने देना चाहिए.”

Lutzer: पहली बात तो यह है कि यह बता दूँ कि मुझे इस बात की ख़ुशी है कि वह अपने पडोसी से बेहतर है, लेकिन दुर्भाग्य से हम अपने आपका न्याय करने की हालत में नहीं हैं! सच तो यह है कि ज्यादातर लोग अपने आपको ऊँचा उठाकर दिखाते हैं. लेकिन जॉन, यहाँ पर एक खास बात देखने को मिलती है. आइये इफिसियों 2:1 पर वापस चलते हैं. मसीह के बिना हम अपने “अपराधों और गुणाहों में मरे हुए हैं”. अब, हमारे पास यहाँ दो लाशें हैं – हो सकता है एक व्यक्ति 20 साल से मरा हुआ हो और दूसरा हो सकता है सिर्फ तीन दिन से मरा हुआ हो. तो फिर इससे क्या फर्क पड़ता है? अगर इन्हें जिन्दा रहना है तो इन्हें सिर्फ एक ही चमत्कार की जरुरत है.

लेकिन हो सकता है कि आज हम किसी एक ऐसे व्यक्ति से बात कर रहे हों जिसने बहुत पाप किये हों. आपको पता है, वर्षों पहले जब जॉन वॅयने गॅसी को इलिनोइस में मृत्युदंड दिया गया, तब वह इतना कुत्सित व्यक्ति था कि उसने शिकागो में लगभग 18 लड़कों को मार डाला और फिर उनके शरीरों को अपने घर के नीचे दफन कर दिया! पता है जब उसको दूरदर्शन पर दिखाया गया तो उसमे क्या खास बात थी? आप उम्मीद करोगे कि वो किसी दुष्ट व्यक्ति की तरह दिखाई दिया होगा. मेरा मतलब है, मुझे याद है जब मैंने उसे देखा था और मैं सोच रहा था उसके सींग निकले होंगे या उसमें से दुष्टात्माएं निकलेंगी. लेकिन मुझे बड़ा धक्का लगा जब मैंने देखा कि वो तो कितना सीधा दिखाई दे रहा था. सच बात यह है कि हम सब उसी जाति के लोग हैं. शुक्र है शायद जो उसने किया वो हम न करें, लेकिन सामान्य तथ्य यही है कि हम सब पापी हैं. और हम अपने आप से यह नहीं कह सकते कि, “हाँ, उसे परमेश्वर कि क्षमा की जरुरत थी मगर मुझे नहीं है.”

अलेक्सांद्र सोल्ज्हेनित्स्य्न ने इसके बारे में बहुत सही कहा है. उसने कहा कि क्या ये अच्छा नहीं होगा कि अगर इस दुनिया में अच्छे लोग भी हों और बुरे लोग भी हों, और हम इस दुनिया के सारे अच्छे लोगों को एक तरफ और सारे बुरे लोगों को दूसरी तरफ रख दें? उसने कहा, लेकिन अच्छे और बुरे लोगों के बीच में कोई विभाजन रेखा नहीं होनी चाहिए. वास्तव में इनके बीच कोई रेखा होती भी नहीं है. वह कहता है कि ये रेखा प्रत्येक व्यक्ति विशेष के हृदय से होकर जाती है. जॉन, तुम और मैं यह अच्छी तरह जानते हैं कि कितनी बार ऐसा कहा जा सकता है कि कभी कभी एक अच्छा व्यक्ति भी जो करता है वो बात हमें अचंभित कर देती है.

Ankerberg: इस बात के साथ साथ इरविन, हम उन लोगों के बारे में बात करेंगे जो यह कहते हैं कि वे इतने अच्छे हैं कि उन्हें इस अनुग्रह की जरुरत नहीं है. दूसरी तरफ हमें यह याद रखना चाहिए कि ऐसे ढेरों लोग हैं जो यह महसूस करते हैं कि वे सच में बुरे हैं. उन्होंने अपनी जिन्दगी ख़राब कर ली है. मैं यह बात कहना चाहता हूँ कि अनुग्रह इतना शक्तिशाली होता है कि वह किसी भी व्यक्ति के जीवन को बदल सकता है. और आपकी पुस्तक में एक युगल का बहुत अच्छा उदाहरण है जो आपके पास आया था.

Lutzer: पहले मैं इस बात को समझा दूँ कि दो श्रेणी के लोग होते हैं जिन्हें इस अनुग्रह को स्वीकार करना कठिन लगता है. पहले वे जिन्होंने बहुत बड़े पाप किये हों, आमतौर से नैतिक पाप – वैश्यावृति, नशा बेचना. वो अपने आप में सोचते हैं, “मैंने अपनी जिंदगी इतनी ख़राब कर ली है, और परमेश्वर मुझसे इतना नाराज है कि मैं अनुग्रह ग्रहण नहीं कर सकता.”

जो दूसरे लोग इस अनुग्रह को ग्रहण करने में कठिनाई महसूस करते हैं ये वो हैं जो “दूध के धुले,” धार्मिक रूप के हैं. मेरा मतलब है, क्या ये वही लोग नहीं हैं जो सामाजिक कार्यों के लिए खुद को स्वयंसेवक के रूप में दे देते हैं? क्या उन्होंने परोपकारी कार्यों के लिए कुछ धन नहीं दिया? क्या वे अपनी देनदारी यथोचित रूप से नहीं चुकाते? उनकी कोई आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है, उन्हें अनुग्रह की क्या जरुरत है? सीधी सच्चाई यह है कि दोनों ही श्रेणी के लोगों को अनुग्रह की बड़ी जरुरत है और दोनों ही अनुग्रह को स्वीकार कर सकते है. इसलिए मैं सोचता हूँ,… और यीशु ने भी कहा है कि उसके समय के धार्मिक लोगों से पहले तो वेश्याएँ ही स्वर्ग के राज्य में प्रवेश करेंगी, क्योंकि उन्होंने अपने लिए परमेश्वर के अद्भुत अनुग्रह की जरुरत को नहीं पहचाना (मत्ती 21:32). आइये अब नशा बेचने वाले और वेश्याओं के बारे में विचार करें. कम से कम वो ये तो जानते हैं कि यदि वे बचेंगे तो यह अनुग्रह के द्वारा ही बचेंगे.

जॉन, पता है, एक दिन मैं एक चर्च में था और एक जवान युगल मेरे पास सलाह के लिए आया. उनकी कहानी कुछ इस तरह है. ठीक है, वो लड़की यीशु को उद्धारकर्ता के रूप में जान चुकी थी. लेकिन वे एक बीवियाँ अदला– बदली करने वाले समूह से सम्बंध रखते थे और जब वह अपने पति को चर्च ले आई तो मैं नहीं सोचता कि वो वहाँ रुकना चाहता था. मैं सोचता हूँ वह उसे लगभग घसीट कर वहाँ ले आई थी. मैं सोचता हूँ वह वहाँ उतनी ही देर रहना चाहता था जितनी देर एक नकली सिक्का भेंट की तश्तरी का आनंद उठाता है. लेकिन अब वह वहाँ आ चुका था. उसकी पत्नी उसे वहाँ घसीट ले आई थी और अब वो सभा के बाद मिलने के लिए आगे आया हुआ था. उसने कहा, “मैं बीवियाँ अदला– बदली करने वाले एक समूह में विश्वास करता हूँ, और कम से कम मैं तो वहाँ जाता हूँ और हम उसका हिस्सा हैं.” लेकिन मुझे पता था कि उसकी पत्नी हाल ही में यीशु को जान चुकी थी. इसलिए मैंने उससे कहा, “क्या तुम यीशु को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण करने के लिए तैयार हो?” और मैं उस बात को जो उसने कही वो कभी नहीं भूल सकता. उसने कहा, “अगर आप सोचते हो कि जो मैं कर रहा हूँ उसको छोड़ दूंगा, तो ऐसा है कि मैं उसे नहीं छोड़ सकता, क्योंकि मेरे पास इससे बाहर निकलने का कोई रास्ता नहीं है.” आपको पता है, वास्तव में वो यह कह रहा था कि लत बहुत गहरा असर रखती है. तब मैंने उससे कहा, “क्या तुम यह स्वीकार करना चाहते हो कि तुम पापी हो और तुम्हें मसीह को उद्धारकर्ता के रूप में ग्रहण करने की जरुरत है और परमेश्वर के अनुग्रह से ही तुम परमेश्वर द्वारा स्वीकार किये जाओगे?”

और उसने कहा, “हाँ.” और फिर मैंने वो काम किया जिसको करने में मैं बड़ी हिचक महसूस कर रहा था. तब मैंने अनुग्रह पर एक दाँव खेला. मैंने कहा, “क्यों न तुम तब तक के लिए मसीह को अपना उद्धारकर्ता ग्रहण कर लो जब तक कि तुम्हें, पहली बात – यह लगता है कि तुम एक पापी हो. तुम अपने उद्धार के लिए कुछ भी नहीं कर सकते. तुम अपने आपको असहाय जानकर परमेश्वर की दया पर डाल रहे हो और मसीह को तुम अपने पापों को उठा लेने वाले के रूप में स्वीकार कर रहे हो और फिर बीवियों की अदला – बदली के क्लब के बारे में बाद में सोचते हैं.”
उस रात उस व्यक्ति ने यीशु को स्वीकार कर लिया. और मुझे अपने आप पर आश्चर्य हुआ, “मुझे आश्चर्य हुआ कि कभी उसका जीवन बदल भी पायेगा.” कुछ सप्ताह बाद उसने मुझसे मिलने का समय माँगा, और मैं चिंता कर रहा था कि हम किस विषय पर बात करेंगे?” आपको पता है उसकी बातचीत का एक ही मकसद था कि वह कौन से बाइबल कॉलेज जाये, क्योंकि वो सेवकाई में आना चाहता था.

अब यहाँ पर अनुग्रह के बारे में दो शक्तिशाली सबक हैं. पहली बात, जो लोग गहरी जरुरत में होते हैं उनको अनुग्रह मिलता है, फिर चाहे उनकी जीवन-शैली कैसी भी क्यों न हो. अनुग्रह उनके लिए उपलब्ध रहता है. लेकिन एक दूसरा सबक भी है. एक बार जब हमें परमेश्वर का अनुग्रह मिल जाता है तो फिर हम पहले के जैसे बिल्कुल नहीं रहते. एक अन्य कार्यक्रम में हम इस विषय पर बात करेंगे कि नया जन्म पाने का क्या मतलब है और परमेश्वर हमें नयी इक्छाओं, नयी उम्मीदों के साथ नया स्वाभाव भी देता है, ताकी यह नया इन्सान अपनी पुरानी जीवन-शैली में वापस न जा सके. परमेश्वर ने उसके अन्दर नए गुणों का एक पूरा झुण्ड दे दिया. यही अनुग्रह है और इसी लिए यह बहुत ही अनोखा है.

Ankerberg: इस हिस्से को ख़त्म करते हुए, हम उन दो लोगों की कहानी के बारे में बात करेंगे जिनके बारे में यीशु ने बताया और जो अनुग्रह में विश्वास करते थे.

Lutzer: ओह जॉन! लूका की इंजील में पाई जाने वाली ये कहानी कितनी शक्तिशाली है (18:10…). दोनों ही व्यक्ति अनुग्रह में विश्वास करते थे. अब यहाँ पर एक आदमी मंदिर में जाता है और कहता है, “परमेश्वर, मैं तेरा धन्यवाद देता हूँ, कि मैं उन लोगों की तरह नहीं हूँ जो व्यभिचारी, नाजायज धन वसूलने वाले इत्यादि हैं. और उसने कहा, “मैं सप्ताह में दो बार उपवास रखता हूँ. मैं एक अच्छा इन्सान हूँ.” उसने उस बात के लिए परमेश्वर का धन्यवाद दिया. उसने अनुग्रह पर विश्वास किया. उसने इस बात पर विश्वास किया कि वह परमेश्वर द्वारा दिए गए वरदानों की सामर्थ में ही इन अच्छे कामों को कर पाया था.

फिर एक और आदमी था, महसूल वसूल करने वाला, जिसमे इतनी हिम्मत भी न थी कि वह परमेश्वर कि आँखों में देख सके. बाइबल बताती है, कि उसने अपना सिर भी स्वर्ग कि ओर नही उठाया. लेकिन वह खुद को ही निचा कर रहा था और उसने कहा, “परमेश्वर मूज पापी पर दया करे!” और यीशु ने कहा कि यह व्यक्ति धर्मी होकर वापस घर गया और दूसरा नही.

Ankerberg: यह बहुत शक्तिशाली है क्यूंकि आपके पास दो व्यक्ति है जो अनुग्रह पर विश्वास करते है लेकिन एक को अनुग्रह के बारे में गलत समझ थी और वह धर्मी नही बन सका.

Lutzer: एक ने यह विश्वास किया कि अनुग्रह इतना शक्तिशाली है कि वह उसे अच्छा जीवन जीने में मदद करता है. दूसरे आदमी ने उस अनुग्रह में विश्वास किया जो इससे कहीं अधिक था, एक ऐसा अनुग्रह जो उस व्यक्ति को ज़मीन पर से भी उठा सके जिसके पास कोई भी आसरा न हो. और जॉन, आज इस कार्यक्रम को सुनने और हमें देखने के दौरान, ऐसा कोई व्यक्ति होगा जो बिलकुल इसके जैसा ही होगा, मुझे विश्वास है, वह ईमानदारी से यह विश्वास कर रहा होगा, “मैं कुछ नहीं कर सकता, मैं सब कुछ पूरे तरीके से ख़राब कर चुका हूँ, अब मैं कहीं जा भी नहीं सकता. मैंने दूसरों की जिंदगियां भी बर्बाद की हैं.” मुझे जेल से लोगों के पत्र मिलते हैं जो अपने उन भयानक कामों की कहानियाँ बताते हैं जो उन्होंने किये हैं, और वो अपने आप में सोचते हैं, “मेरे लिए कोई उम्मीद नहीं है.” लेकिन मैं आज ऐसे लोगों से कहना चाहता हूँ कि उनके लिए आशा पाई जाती है क्योंकि अनुग्रह बहुत ही अद्भुत है. सच तो यह है कि इन लोगों के लिए ऐसे धार्मिक व्यक्ति से कहीं ज्यादा उम्मीद है जो आज इस कार्यक्रम को देख रहा है, जो चर्च जाता है, जो सोचता है कि वह बड़ा अच्छा जीवन जी रहा है, धन्यवाद, और अनुग्रह आकर उनसे हाथ मिलाता है. लेकिन ये दूसरा व्यक्ति जानता है कि अनुग्रह न सिर्फ आकार उससे हाथ मिलाता है बल्कि वह उसकी जिंदगी में एक बड़ा चमत्कार करता है.

Ankerberg: मैं चाहता हूँ कि आप इन लोगों के लिए थोड़ी देर बाद प्रार्थना करें. लेकिन लोगों, जब आप सुन रहें हैं तो क्या आपने उस सुसमाचार को महसूस किया जिसके बारे में ये बात कर रहे हैं? हो सकता है आप बहुत ही धार्मिक व्यक्ति हों. हो सकता है आप चर्च जाते हों, और आप अक्सर संदेह करते हों, “क्या मैं स्वर्ग जा पाऊँगा?” क्योंकि आप अपने हिस्से के अच्छे काम कर रहे हो और आप कह रहे हो, “परमेश्वर इसमें अपना हिस्सा जोड़ देगा.” लेकिन कहीं न कहीं कुछ हद तक आप अपने अच्छे कामों पर भी निर्भर हुए हो. और आपकी समस्या तो यही है. जो कुछ भी आप कर रहें हैं आपको उन सबका त्याग करना होगा और इस बात को समझना होगा कि परमेश्वर मसीह के द्वारा हमें सब कुछ प्रदान करता है. पिता परमेश्वर के सामने कबूल किये जाने के लिए जो कुछ भी जरुरी है वो सब कुछ मसीह ने हमारे लिए कर दिया है.
दूसरी ओर आप एक ऐसे इन्सान हो सकते हैं जो ये सोचते हों कि परमेश्वर आपसे कोई वास्ता नहीं रखता है. सुनिए, आप एक अच्छी जगह पर हैं जहाँ आप यह जान सकते हैं कि वह आपसे बहुत अधिक प्यार करता है, वह आपको क्षमा और अपने साथ एक रिश्ते का – पूरा बण्डल प्रदान करेगा – अगर आज आप अपना ईमान पूरी तरह से सिर्फ प्रभु यीशु मसीह पर स्थानांतरित कर सकें तो. क्या आप अभी ऐसा करने के लिए तैयार है? यदि हाँ, तो इरविन, क्या आप इन लोगों को प्रार्थना में अगुआई करोगे जो उन सब चीजों का त्याग करेंगे जिनके ऊपर वे परमेश्वर की हुजूरी में जाने के लिए निर्भर हो रहे थे, ताकी वे स्वर्ग जा सकें, पापों कि क्षमा पा सकें, और जो अपना ईमान पूरी तरह से मसीह पर स्थानांतरित करने और सिर्फ उसी में विश्वास करने के लिए तैयार हैं.

Lutzer: ठीक है, आइये प्रार्थना करें. हे हमारे पिता, यीशु के चमत्कार के लिए मैं आपका धन्यवाद करता हूँ. धन्यवाद कि जो सचमुच में पापी और जघन्य पापी हैं वह उन्हें भी बचाता है. और हे पिता आज हम उन लोगों के लिए प्रार्थना कर रहें हैं जो हमारा कार्यक्रम देख रहें हैं और हमें सुन रहे हैं, और हम यह प्रार्थना करते हैं कि आप उन्हें अनुग्रह प्रदान करें कि वे कुछ इस तरह प्रार्थना करें: “हे परमेश्वर, मैं जानता हूँ कि मैंने पाप किये हैं! मैं जानता हूँ कि मैं एक अभागा इन्सान हूँ, और जैसा कि गीत में भी कहा गया है: मेरे जैसा अभागा इन्सान. लेकिन इस समय, मैं मसीह को स्वीकार करता हूँ. मैं उसके अनुग्रह पर विश्वास करता हूँ. मैं अपने अच्छे कामों और अपने खुद के प्रदर्शन पर लगाई गई अपनी सारी उम्मीदों का परित्याग करता हूँ, और अपने विश्वास को पूरी तरह से उस पर स्थानान्तरित करता हूँ, जो मुझे बचाने और मेरे पापों को उठाने में सक्षम है. मैं उसे ग्रहण करता हूँ और उसका यह वायदा स्वीकार करता हूँ कि जितने उसे ग्रहण करते हैं, उनको वह अपनी संतान होने का अधिकार प्रदान करता है, अर्थात उनको जो उसके नाम पर विश्वास करते है (यूहन्ना 1:12). इन लोगों को आश्वासन अर्थात विश्वास का आश्वासन प्रदान कर, हम यीशु के नाम में प्रार्थना करते हैं. आमीन.”

Ankerberg: ठीक है इरविन, बताइए अगले सप्ताह हम किस विषय पर बात करने जा रहे हैं?

Lutzer: अगले सप्ताह मैं ऐसे विषय पर बात करने जा रहा हूँ जो कि बहुत ही महत्वपूर्ण है. चाहे कोई व्यक्ति प्रोटेस्टेंट हो या फिर कोई कैथोलिक हो, उन्हें कार्यक्रम देखना होगा क्योंकि यह बड़ा क्रांतिकारी होगा, और यह उद्धार की इस महत्वपूर्ण शिक्षा को समझने में हमारी मदद करेगा.
Ankerberg: लोगों, मैं इनकी बात से सहमत हूँ, क्योंकि मुझे पता है कि ये क्या कहने वाले हैं. आपको इसे अगले सप्ताह सुनना होगा.