द्वारा: John F Weldon DMin, पीएचडी; ©2013
“क्षमा करो जैसे परमेश्वर ने तुम्हे क्षमा किया” (कुल्लुसियों 3: 13)[1]
क्षमा दान इस संसार की सबसे महत्वपूर्ण बात है यद्यपि कभी कभी सबसे कठिन बातों में से एक है. एक अर्थ में, क्षमाशीलता विश्वासियों की पहचान की या औचित्य प्रदर्शन की भी अभिव्यक्ति है. यहां औचित्य प्रदर्शन से अर्थ है मनोवृत्ति और संस्कृति औचित्य की प्रदर्शन बिना प्रतिफल की आशा किये हुए परमेश्वर के सारभूत स्वभ्हाव और गुणों के निर्विवाद अभिव्यक्ति के निमित्त हमारे अपराधियों को सच्चे दिल से क्षमा कर देना.
मेरे जीवनकाल मैं ऐसे बहुत से लोगों से मिला हूँ जो क्षमा करने से स्पष्ट इनकार कर देते हैं या किसी को क्षमा करने में असमर्थ होतें हैं- और वे जहां कहीं भी गए वहाँ उन्होंने जो कीमत चुकाई वह स्पष्ट दिखाई दी. क्रोध, कडुवाहट, रोष, टूटी मित्रता, खराब सेहत, विवाह विच्छेद आदि. परन्तु हम मसीह के द्वारा परमेश्वर से कितनी क्षमा पा चुकें है- यथार्त में बहुत ही अधिक कोई सोच सकता है कि इसकी तुलना में अपने अपराधियों को, जिनके अपराध कुछ भी नहीं है क्षमा करना आसान काम होगा, परन्तु यह सच नहीं है.
एक तरफ, मैं सोचता हूँ कि हम में से कई, किसी न किसी कारण से, बस क्षमा करना नहीं चाहते. यह इसलिए है कि हम नहीं समझते कि परमेश्वर ने हमें कैसी क्षमा प्रदान की है. निश्चय, ही हमने बहुत कष्ट और दुःख उठाये हैं, परन्तु हमारे कष्ट और दुःख प्रभु यीशु के कष्टों से बढ़कर नहीं है जो उसने हमारे क्षमा दान के लिए सहे.
परमेश्वर हमें मनुष्यों को क्षमा करने के सम्बन्ध में चुनाव करने की छूट नहीं देता है, इसका एक अच्छा कारण है. वो हमसे बहुत प्रेम करता है और बहुत कुछ दाव पर लगाता है. बाइबिल के अनुसार कहें तो, क्षमा करना कोई विकल्प नहीं है, यह एक आज्ञा है. और इसे गंभीरता से लेना आवश्यक है.क्यों? तीन कारणों से: परमेश्वर पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, हम पर इसका क्या प्रभाव पढता है और अन्य लोगों पर इसका क्या प्रभाव पडेगा.
परमेश्वर
पहला, यदि परमेश्वर ने हमारे सारे अपराधों को क्षमा किया है (कुलुस्सियों 2: 13) यीशु मसीह में विश्वास करने से- यहाँ तक कि हम अनंत काल के लिए क्षमा किये गए हैं – जबकि सच तो यह है कि हमारे पापों के दंड का अन्त नहीं है जो इस सिमित जीवन के प्राणी के लिए अनन्त कालीन दंड है. [2] – और फिर भी हम उन को क्षमा नहीं करते जो हमारे विरुद्ध तुलना में नगण्य पाप करते हैं. इस प्रकार हम परमेश्वर का अपमान करते हैं और उसे उसकी महिमा से वंचित करते हैं. ऐसा करके हम वास्तव में उसके स्वभाव का विरोध और उसे झुटा सिद्ध करते हैं तथा कलवारी के क्रूस के महत्व को घटाते हैं जबकि वह वास्तव में सब कुछ है.
निर्दयी सेवक के दृष्टान्त में (मत्ती 18:21- 35) यीशु मसीह असमानता, पाखण्ड और अन्याय का वर्णन करते हुए दो विशेष प्रकार के लोगों की तुलना करतें है, एक महान राजा जिसने निर्विवाद एक अवर दास के लाखों रुपये का क़र्ज़ क्षमा कर दिया – परन्तु इस दास ने जाकर अपने परम मित्र को एक पैसे का क़र्ज़ लौटा न पाने के कारण बहुत मारा. [3] एक व्यक्ति जो ऐसी उदारता से लाखों रुपये के कर्जे की क्षमा प्राप्त कर चूका हो (जब वह व्यक्ति उसके शत्रु से कम नहीं रोमियों 5:10; कुलुसियों 1:21 )-और अगले ही पल वह जाकर अपने परम मित्र को मारता कूटता है (जबकि वह उससे क्षमा याचना करता है) जो उसका एक पैसा लौटाने में असमर्थ होता है- विशेषकर तब, जब वह मित्र वायदा करता है कि कुछ और समय मिलने पर वह उसका क़र्ज़ अदा कर देगा? इससे भी बुरी बात, वह व्यक्ति जो राजा के द्वारा इतनी उदारता से क्षमा किया गया था आगे जाकर अपने मित्र को बन्दीग्रह में डाल देता है- यह सब कुछ मात्र एक पैसे के लिए. यह बात स्पष्ट है,कि इस आदमी के मन में कृतज्ञता नहीं थी की उसका लाखों का क़र्ज़ क्षमा किया गया है. क्या इससे भी अधिक अविश्वसनीय, पाखण्डी और क्रूर बात हो सकती है? यहाँ वह व्यक्ति है जिसका लाखो का कर्जा किसी और के द्वारा नहीं बल्कि स्वयं राजा के द्वारा क्षमा हुआ है, लेकिन फिर भी वह अपने परम मित्र के एक पैसे के कर्जे को क्षमा नहीं कर सकता. यदि परमेश्वर ने इस मनुष्य से कहीं अधिक हमें क्षमा किया है- वास्तव में असीमित रूप में, तो हम जो उसके स्वरुप में रचे गए मनुष्यों को, जिनके लिए वह मरा (उनकी बात छोड़ दो जो मसीह में हमारे अपने भाई – बहन हैं) क्षमा नहीं करना चाहते हैं- जबकि उनके पाप जो उन्होंने हमारे विरोध में किए अगर तुलना करें तो वास्तव में कुछ भी नहीं हैं, एक पैसे से भी बहुत कम? नगण्य.
यह समझने के लिए कि क्षमा करना परमेश्वर के लिए कितना महत्वपूर्ण है, बस केवल कलवरी क्रूस की ओर देखें और वह पूरा दाम जो चुकाया गया न केवल यीशु मसीह के लिये (एक असीमित महान दाम) परन्तु (कोई केवल कल्पना ही कर सकतें है) पिता और पवित्रात्मा का भी. अथवा क्षमा शब्द पर बाइबिल अध्ययन करें और उसके जैसे अन्य शब्द समनुक्रमानिका से खोज करें. यदि परमेश्वर ने हमारी सब, बातों को क्षमा कर दिया, तो हम कैसे अपने अपराधियों को क्षमा करने से इनकार कर सकते हैं जिनके अपराध तुलना में कुछ भी नहीं हैं? यह बहुत ही अनुचित बात है.
स्वयं
दूसरा, क्षमा के अभाव की गंभीर और महान व्यक्तिगत क्षति पहुँचती है. मुझे संदेह है कि इस पृथ्वी पर शायद ही कोई ऐसा मनोवैज्ञानिक या मानसिक स्वास्थ्य परामर्शदाता होगा जो क्षमा के महत्व को न जानता हो.
क्षमा का आभाव, वास्तव में हमारे अंदर कड़वाहट, क्रोध, द्वेष और हर प्रकार के पाप के द्वारा शैतान के आराधना का एक मंदिर का निर्माण करता है और इसकी जो कीमत हमें चुकानी पड़ती है वह बहुत है, संभवत जिसकी कल्पना भी हमने न की हो जब हमने आरंभ में रोष, क्रोध और कड़वाहट को हमारे हृदयों में स्थान देना आरंभ किया था. उसके व्यापक परिणामों के विचार से, जो कड़वाहट हमने दूसरों के लिए अपने मन में भर रखी है उसका दस गुना पलट कर हम पर आता है. यह किसी लाभ का नहीं है, एक क्षण के लिए भी नहीं परमेश्वर की आज्ञा के आलावा भी (मत्ती 6:15)- जो विशेषकर कलवरी क्रूस पर दी गई थी, वही हमारे लिए बहुत है- क्षमा करना हमेशा हमारी भलाई के लिए ही होता है : हर स्तर में वह हमारे ही लाभ के लिए है. यह अन्य लोगों और परमेश्वर के साथ हमारे संबंधों में सच्चा और सही मायनो में शांति और सच्ची स्वतंत्रता लाता है. क्षमा करने से इनकार करने पर बड़ी कीमत चुकानी पड़ती है और परमेश्वर यह जानता है. वह नहीं चाहते कि हम ऐसी कीमत चुकाते हुए घोर कष्ट उठाएं क्योंकि वह हमसे प्रेम करते हैं (1 यूहन्ना 3:1).
इसके अतिरिक्त, बहुत कम लोग यह जानते हैं की क्षमा न करने और कोर्टिसोल और अड्रेनालाइन के अधिक उत्पादन का आपस में सम्बन्ध है (जैसे., उनकी कमी प्राकृतिक हत्यारे कोशिकाएं) और जिसके परिणाम स्वरुप शारीरिक रोगें कैंसर जैसे विकार उत्पन्न होते हैं,[4] जो संसार में अभी तक का सबसे बड़ा हत्यारा है.
अन्य
तीसरा, क्षमा के आभाव का नकारात्मक प्रभाव न केवल परमेश्वर के साथ हमारे सम्बन्ध और हमारे व्यक्तिगत जीवन की गुणवत्ता पर पड़ेगा, जैसे कि ये पर्याप्त से अधिक नहीं हैं. परमेश्वर हमें चेतावनी देते हैं कि कड़वाहट की कोई भी जड़ हमारे अंदर पनपना नहीं चाहिए जो हमारे साथ दूसरों के जीवन को भी मैला कर दे. बाइबल स्पष्ट कहती है : “ध्यान से देखते रहो ऐसा न हो कि कोई परमेश्वर के अनुग्रह से वंचित न रह जाए या कोई कड़वी जड़ फूटकर कष्ट दे और उसके द्वारा बहुत से लोग अशुद्ध हो जायें.” (इब्रानियों 12:15) पाप शायद ही अकेले में किया जाता है; विषैली वायु के सामान वह हमारे संबंधों, परिवारों और संभवत: हमारे समुदायों में घुस जाता है. सम्बन्धो की समस्यों में क्षमा की कमी ही शायद सब से बड़ा कारण है. मानसिक कष्ट और दु:ख, घृणा, बदला लेना, अपराध, कड़वाहट,तलाक, नौकरी छूटना, घरेलु हिंसा, तनाव, उच्च रक्तचाप, अस्पष्ट फैसले, निराशा, मादक द्रव्यों का सेवन और अनन्त शारीरिक रोग, प्रेम और आनंद का खो जाना और बहुत कुछ. विडम्बना यह है कि, क्षमा न करने की कीमत वह नहीं चुकाता जिसको क्षमा करने से हमने इंकार किया है बल्कि हम स्वयं चुकाते है. ( सच्ची कहानियों और उदाहरणों के लिए जिसने क्षमा न करने की कीमत चुकाई, देखे Johann Christoph Arnoid, Why Forgive? या विख्यात मनोवैज्ञानिक M. Scott Peck की उत्कृष्ट बुराई का अध्ययन, People of the Lie.)
दूसरे शब्दों में, यह हमारा ही जीवन है जो बर्बाद हो जाता है- हमारी
कड़वाहट या बदला लेने की भावना मुड़कर हमें ही बर्बाद कर देती है. परन्तु केवल हमें नहीं- हमारे बच्चे और नाती पोते भी इससे प्रभावित होते है. आज नहीं तो कल सब इससे प्रभावित होंगें. यह ऐसा है जैसे की परमेश्वर ने अपनी सृष्टि में क्रूस का एक पाठ तैयार किया है- यदि हम क्षमा किये गए हैं और हम क्षमा न करें, तो हम बार-बार पर अपने अपराधों का परिणाम सहेंगे, और यह चलता रहेगा (देखें गलतियों 6:7; कुलुसियों 3:25) उस शांति, आनन्द, चंगाई और भलाई के बारे में सोचे जो दूसरों को सचमुच क्षमा करने से आता है, विशेषकर तब यह हमारी सहायता करता है जब हम यह समझें कि यीशु मसीह ने कलवरी पर कैसा मूल्य चुकाया- और वास्तव में वह स्वयं उसके लिए नहीं था.
शायद सबसे बड़ी विडम्बना यही है कि क्षमा के आभाव का परिणाम दूसरों से नफरत है जिसका अंतिम परिणाम यह होता है की हम स्वयं से और परमेश्वर से नफरत करने लगते हैं- क्या ऐसी भयानक कीमत के योग्य कुछ हो सकता है?
समाधान
समाधान क्या है? हमें यह समझने की आवश्यकता है की हम परमेश्वर के द्वारा कैसे क्षमा किये गायें हैं. क्या हम सचमुच यह विश्वास करते हैं कि परमेश्वर ने हमारे सब अपराधों को क्षमा कर दिया है, सब पापों को, अंतिम पाप को भी? तो क्या हमें परमेश्वर जैसा नहीं होना चाहिए? यदि हम वास्तव में समझें कि परमेश्वर ने हमें कितना क्षमा किया है (लाखों पाप हमेशा के लिए), तो हम क्यों न उनको क्षमा करें जिन्होंने हमारे विरुद्ध छोटे पाप किये हैं इस छोटे से जीवनकाल में , विशेषकर तब जब यह उस परमेश्वर को महिमा देता है जिससे प्रेम करने का हम दावा करते हैं और मनुष्यों से भी जिनके पाप भी उसने क्षमा किये हैं? खासतौर पर जब वह ह्में हर प्रकार के आघात और त्रासदी से बचा सकतें है. जब यह हमारे लिए सबसे उत्तम है, आखिर, यदि स्वयं परमेश्वर ने सच में हमारे अपराध पूरी तरह से क्षमा कर दिए, तो हम कैसे दूसरों के एक दो अपराध को क्षमा न करें जब परमेश्वर ने ऐसा कर के उनके सब अपराध क्षमा कर दिया है? हम कैसे दूसरों के विरुद्ध भावना रख सकतें है जब परमेश्वर ने उनको पहले ही हमेश के लिए क्षमा कर दिया है?
अपने असंख्य पापों पर और उस तथ्य पर विचार करें कि इसका निष्पक एवं उचित दंड हमारा अनंत नरक वास है.[5] और फिर इस तथ्य पर भी विचार करें कि एक अनन्त पवित्र परमेश्वर ने सब पापों को, अन्तिम पाप को भी जो विचारों में, शब्दों द्वारा और कार्यों द्वारा किया गया था. वरन विचारों के पीछे उद्देश्यों में भी किया गया था. (1 इति 28:9; भजन 16:2) और उसने यह सब ऐसा दुःख उठाकर किया जिसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती है. विचार करें कि एक अनन्त न्यायप्रिय एवं पवित्र परमेश्वर ने हमारे पापों के कारण कैसा कष्ट भोगा, परन्तु अपने प्रेम और अनुग्रह में हमारे अन्तिम पाप तक को क्षमा कर दिया तदोपरांत अपने मन की दीनता में स्वंय से पूछे कि क्या आप मनुष्य को क्षमा करना चाहते हैं या नहीं? यदि वे आपसे क्षमा याचना न करें तोभी आपको उन्हें क्षमा करना आवश्यक है. अतः उन्हें क्षमा करें और महिमामय स्वतंत्रता पाएं. दूसरी ओर यदि हम परमेश्वर के समानता को यथार्त में न समझते हैं तो संभवत यह संकेत है कि हमने यीशु मसीह को अपना उद्धारक एवं प्रभु स्वीकार नहीं किया है. और आवश्यक है की हम अपने पापों के लिए परमेश्वर से क्षमा मांगे तथा पापों की क्षमा के लिए अपना विश्वास स्वंय से हटाकर प्रभु यीशु में अवस्थित करें.(यूह 3:16)
सीधी सी बात है, यदि हम प्रेम करते हैं तो हम क्षमा भी करते हैं और हमे प्रेम से बढ़कर बहुत कुछ मिलता है. देखें यूह 3:18. “यदि दिन भर में वह सात बार आपके विरुद्ध अपराध करे और सातों बार आपके पास आकार कहे, कि मैं पछताता हूँ, तो उसे क्षमा करें” (लूका 17:4). “….एक काम मैं करता हूँ: कि जो बातें पीछे रह गयीं हैं उन को भूल कर, आगे की बातों कि ओर बढ़ता हुआ निशाने की ओर दौड़ा चला जाता हूँ, ताकि वह इनाम पाऊँ, जिस के लिए परमेश्वर ने मुझे मसीह यीशु में ऊपर बुलाया है.”(फिल्लिपियों 3:13-14)
यह अंतिम बाइबल का अंश अत्यन्त गंभीर बात है. पौलुस के जीवन पर ध्यान देते हुए विचार करें कि उस अभागे मनुष्य को कितनी बार क्षमा करना पड़ा था. सबसे पहले तो वह जब अविश्वासी था तब उसको मसीही विश्वासियों को सताने और उनको घात करने का दायित्व दिया गया था (स्तिफानुस के पथराव में भी वह सहभागी था), अतः उसको अपने किये हुए अपराधों पर पछतावा था और यह विषय निरंतर उसके मन में था. इसके बाद उसने प्रभु यीशु का प्रचार आरम्भ किया तब वह अपने प्रिय जनों, यहूदी बन्धुओं तथा यहूदी धर्मगुरुओं (जिन्होंने सदा ही उसकी हत्या का षडयंत्र रचा) द्वारा बार बार पिता गया, कोड़े से मारा गया, सताया गया, उससे घृणा की गयी. अतः उसे दूसरों के साथ क्षमा का व्यवहार करना पढ़ा. अन्त में, सबसे बुरी बात जो उसके साथ घटी वह थी कि मसीह की कलीसिया के प्रति अपने आगाध प्रेम के कारण उसे नाना प्रकार के कष्टों, निराशाओं और यहाँ तक कि मसीह में अपने विश्वासी भाइयों द्वारा विश्वासघात भी सहना पढ़ा था, जिनके लिए उसने अपना सर्वस्व त्याग दिया था (2 कुरिन्थियों 6:4:10;2 कुरिन्थियों 11: 23- 29;2 तीमुथियुस 1:15).
ये उन बातों में से कुछ बातें है जिनके कारण प्रेरित पौलुस के मन में कड़वाहट उत्पन्न हो सकता है. हम यीशु तो क्या पौलुस के कष्टों से भी अपनी तुलना नहीं कर सकते है. तथापि पौलुस क्रूस के अर्थ को समझता था जो मुख्य बात है. वह जानता था कि जो बीत गया उसे भूल जाओ. बदलेगा कुछ नही. अतः उसे सोचना और उससे प्रभावित होने में कोई लाभ नहीं है, यह समय नष्ट करने और परमेश्वर, मनुष्य वरन हमारी हामी के अतिरिक्त और कुछ नहीं है. इस कारण प्रिय भाई पौलुस ने अपना मन-मस्तिष्क एक ही ओर साध कर रखा था – आगे भविष्य की ओर, मसीह की सर्वोच्च बुलाहट की ओर. उसने बीती बातों पर विचार करना ही छोड़ दिया था. ठीक यही हमें भी करना चाहिए. बीती बातों को सदा सर्वदा के लिए भूल जाओ. वे कभी किसी प्रकार नहीं बदलेगी. कभी नहीं. उनके बारे में सोचने से केवल क्रोध, कडवाहट उत्पन्न होगी और पतन होगा. परमेश्वर क्षमा करके सब समाप्त कर दिया है और हमें भी ऐसा ही करना है. यही कारण है कि पौलुस का स्वभाव भी ऐसा ही था” (इफिसियों 4:32).
हम मुर्ख भी न बनें कि किसी को दिखाने के लिए क्षमा करें या सोचें कि किसी को हमने क्षमा कर दिया है, जबकि मन में डाह और वैमनस्य को तूल देते रहना चाहे वे छोटे हों या बड़े हों जो हमारे सम्भंधों में स्पष्ट दिखाई देते हैं. यदि हमने अपराधियों को सच में क्षमा कर दिया है तो हम उन्हें आसानी से भूलेंगे तो नहीं. परन्तु हम उन्हें कष्ट देते हुए उनका स्मरण नहीं दिलाएंगे कि उन्होंने हमें कैसे दुःख पहुँचाया है और बुराइयों का लेखा रखते हुए छोटी छोटी बात पर क्रोधित होते रहें. यह सच्चा क्षमादान नहीं है. यदि परमेश्वर का व्यवहार हमारे साथ ऐसा हो तो उसके साथ हमारे सम्बन्ध कैसे होंगे? कांटो पर चलकर भी कोई लाभ नहीं होगा.
क्षमा दान एक स्वच्छ किताब है, यही कारण है कि उसके द्वारा हमें ऐसी स्वतंत्रता मिलती है. हमारा मन भी जानता है कि हमने अपने अपराधियों को सच में क्षमा किया है. यदि नहीं तो हमें क्षमादान के निमित परमेश्वर से सहायता मांगते रहना होगा और स्मरण रखना होगा कि परमेश्वर ने हमें कितना -तथा स्वंय रचना छोड़ना होगा क्योंकि एक ओर तो परमेश्वर से उसकी अनन्त पवित्रता के प्रकाश में अपने असंख्य पापों की क्षमा प् चुके हैं और दूसरी और अपने अपराधियों के छोटे से छोटी ऐहिक अपराधों के लिए उन्हें क्षमा न करें. यही कारण है कि परमेश्वर का हममें से हर एक को चाहने का, “अपने भाई को मन से क्षमा करें” (मत्ती 18:35) क्योंकि इस से कम क्षमादान नहीं है . मुझे भी क्षमा करना आवश्यक हुआ था. मुझे बहुत हानि उठानी पड़ी थी – आर्थिक रूप से, सेवकाई में , स्वासथ्य के सम्बन्ध में, आदि- परन्तु क्रूस के प्रकाश में मैंने देखा कि यह वास्तव में एक सौभाग्य है कि में मसीह के कारण अपने अपराधियों का क्षमा करूँ.
क्योंकि यह स्वार्गिक है (लूका 5:21), क्षमादान वास्तव में आनंददायक और अदभुत है वरन यीशु की समानता में होने का एक अवसर भी है. यीशु जिसने उन पाशविक मनुष्यों को उसे क्रूस पर चडाने के लिए ही क्षमा नहीं दिया वरन करोड़ों मनुष्यों के असंख्य पापों को भी क्षमा किया है जो भले तो थे ही परन्तु उनके साथ दुष्ट जन भी थे जो मसीह यीशु से सम्बन्ध भी रखना नहीं चाहते थे. (मत्ती 7:11; यूहन्ना 3:20;15:8 रोमियों 3: 9-18) उसने वास्तव में उनके पापों के लिए वैधामिक और आत्मिक परिप्रेश्य में अलौकिक कीमत चुकी की वे अनन्त कालीन क्षमा के पात्र हो जाये. उसने मानसिक रूप से क्षमादान नहीं दिया. जिसने भी रोमी क्रूशीकरण का आयुविग्यामिक वृत्तान्त पढ़ा है वह भलीभांति जानता है कि यीशु ने भयानक और असहनीय पीढ़ा की चरमसीमा पार करके कष्ट उठाये थे कि वह मनुष्य को क्षमा कर पाते. परन्तु मुझे पूरा विश्वास है उसकी मानसिक पीढ़ा कहीं अधिक भी और आत्मिक पीढ़ा शारीरिक और मानसिक पीढ़ा अधिक थी.
यही कारण है कि परमेश्वर को पूरा अधिकार है कि वह हमसे मनुष्यों को क्षमा करने की अपेक्षा करे. वह तो हमसे अपने क्षमादान का दस लाखवां भाग भी करने को नहीं कहता है. वह तो अंतत हम से एक पैसे के उधार को ही क्षमा करने को कहता है जब हमारे अपराधियों की बात आती है जबकि उसने तो हमारे अनन्त काल सम्बंधित पापों को क्षमा किया है जो वर्णन से परे है. हमारे यह पाप ऐसे गंभीर थे कि हम अनन्तकाल तक उसकी गहरायी को अन्तर्ग्रहण नहीं कर पाएंगे.
अतः अपने अपराधियों को दिल से सदाकालीन सच्चा क्षमादान देकर परमेश्वर को दिखा दें कि आप उससे कितना अधिक प्रेम करते हैं. पिछले 2000 वर्षों में मसीही विश्वासियों ने उनकी संतान के साथ कुकर्म करनेवालों और उनकी हत्या करने वालों को, पत्नी के साथ बलात्कार करने वालों को, माता पिता को सताने वालों को कलवरी के क्रूस के कारण सच्चे दिल से क्षमा कर दिया. यह संभवत सच है कि आपका क्षमादान इस स्थर तक नहीं पहुँच सकता परन्तु यदि उन्होंने अपने मन में यीशु के कारण ऐसी क्षमा रखी तो आप क्यों नहीं रख सकते? अतः परिस्थिति जैसी भी हो, अपने अपराधियों को क्षमा करें, विशेष करके अपने मसीही भाई बहनों को सदा करते रहें. और यह जानकार कि आपने परमेश्वर और उसके प्रभु का महिमान्बन किया है और परमेश्वर तथा स्वंय और अन्यों के साथ अपने सम्बंधों को साथ बना लिया है, अनन्त शांति एवं संतोष का अनुभव प्राप्त करें.
अवश्यमेव, क्षमादान के विषय सबसे महत्वपूर्ण बात यह है, यदि आपने मसीह यीशु को अपना प्रभु एवं उद्धारकर्ता स्वीकार करके परमेश्वर से क्षमा प्राप्त नहीं की है तो आप अपने जीवन में कुछ भी कर लें, इससे बढ़कर कुछ नहीं है. (मसीही विश्वास में आने के लिए कृपया, JAshow.org. देखें)
कुछ व्यहवारिक सहायताएं
यहाँ कुछ व्यवहारिक संकेत दिए गए है जो क्षमादान में आपकी सहायता करेंगे:
अतिरिक्त पठन सामग्रियां
चार्ल्स स्टैनले, क्षमा की उपहार
आरटी केंडल, कुल क्षमा
टीडी Jakes, उसे जाने दिया: माफ कर दो तो तुम्हें माफ किया जा सकता
स्टीफन चेरी, हीलिंग व्यथा
फिलिप Yancey, क्या अनुग्रह के बारे में तो कमाल है?
लुईस बी Smedes, क्षमा की कला
मिरोस्लाव Volf, प्रभार से मुक्त: क्षमा उसमें अनुग्रह की छीन एक संस्कृति देते
ब्रायन जोन्स, गोरिल्ला से छुटकारा: इकबालिया संग्राम माफ कर दो
विलार्ड Gaylin, घृणा: हिंसा में मनोवैज्ञानिक गिरते
नोट्स
1. ↑ , Ankerberg यूहन्ना, यूहन्ना वेल्डन: की बाइबिल सच परन्तु यदि तुम मनुष्यों के अपराध क्षमा न करोगे, तो तुम्हारा पिता भी तुम्हारे अपराध क्षमा न करेगा (मत्ती 6:14) कुछ संवेदनशील मसीही लोग ऐसा अनुमान लगा सकते है की यह आयत शायद हमारे उद्धार के छिन जाने के बारे में है- यदि हम दूसरों को क्षमा न करे तो परमेश्वर हमें क्षमा नहीं करेगा और विश्वासी होने के नाते हम स्वर्ग में नहीं जायेंगे. यह उसका अर्थ नहीं है क्योंकि एक बार आत्मिक रूप से नया जन्म पाने के बाद एक विश्वास सदा के लिए सुरक्षित है. यह यीशु मसीह की ओर से एक गंभीर चेतावनी है की परमेश्वर क्षमा को कितना महत्त्व देते हैं औ रिस बात की घोषणा करते है की सच्चे मसीही प्राकृतिक रूप में क्षमा करेंगे. यह शायद कठिन होगा, परन्तु हर कोई जो क्रूस पर येशु मसीह के बलिदान को समझता है, क्षमा करने के बिना कुछ नहीं कर सकता. सच्चे रूप में क्षमा एक मसीही का चिन्ह है. गैर-मसीही भी क्षमा करते है परन्तु मसीहों के समान नहीं क्योंकि उनके पास उसका महान आधार नहीं है: व्यक्तिगत रूप से मसीह में परमेश्वर की क्षमा को अनुभव करना और कलवरी की कुछ सच्चाई की गहराई को समझ कर. “इसलिए यदि तुम मनुष्य के अपराध क्षमा करोगे तो तुम्हारा स्वर्गीय पिताभी तुम्हे क्षमा करेगा (मत्ती 6:14).For की अनन्त सुरक्षा आस्तिक देखना कैसे जान सकते हें संपूर्ण निश्चितता के साथ की आप स्वर्ग जा रहें हेंhttp://www.jashow.org/resources/specials/current-offer/how-to-know-with-absolute-certainty-that-you-re-going-to-heaven.html , यूहन्ना Ankerberg, यूहन्ना वेल्डन, अनन्त सुरक्षा के बारे में सच जानने;http://www.smashwords.com/extreader/read/51816/1/knowing-the-truth-about-eternal-security.
2. ↑ यूहन्ना जी वेल्डन, “नरक: क्यों यह स्वर्ग प्रवेश करने की उल्लेखनीय आसानी अनन्त है”, The John Ankerberg Show; http://www.jashow.org/wiki/index.php?title=Hell_-_Why_It%27s_Eternal_and_the_Remarkable_Ease_of_Entering_Heaven
3. ↑ मैंने मसीहों के मध्य में क्षमा से सम्बंधित बाइबिल की कहानियों को सुसज्जित किया और (“परम मित्र”) पैसे की राशि में उद्धृत किया है.
4. ↑ देखें उदहारण, Dr. Michael Barry with the अमरीका का कैंसर चिकित्सा केंद्र, लेखक Forgiveness Project and Lori Johnson, “Holding Grudges? Forgiveness Key to Healthy Body” CBN News: Health and Science January 1, 2012; http://www.cbn.com/cbnnews/healthscience/2011/june/holding-grudges-forgiveness-key-to-healthy-body/. Barry की खोज, उदहारण, साठ % कैंसर के मरीज़ क्षमा करने में समस्या वाले हैं और Johnson का लेख इस प्रकार कहता है “चिकित्सा के लेखों में क्षमा न करने को एक रोग माना गया है जिसे इस प्रकार परिभाषित किया गया है “कुछ प्रक्रिया जो साधारण क्रिया को अभिभूत कर दे” यह आवश्यक है की भावनात्मक चोटों और अव्यस्थ्ता की चिकित्सा की जाये क्योंकि यह अन्य चिकित्सा के प्रतिउत्तर में बाधा बन सकती है– चाहे कोई आगे चिकित्सा करवाना क्यों न चाहता हो” Dr. Steven Standiford ने कहा ; मुख्य शल्यचिकित्सक अमरीका के कैंसर चिकित्सा केंद्र , और देखें Cheryl Walters, “Lack of Forgiveness can Affect our Health”, Natural News;http://www.naturalnews.com/023304_forgiveness_body_health.html : Lawler, एट. अल, “स्वास्थ्य पर क्षमा की अद्वितीय प्रभाव: रास्ते की एक खोज”, व्यवहार चिकित्सा के जर्नल अप्रैल 2005;.https://umdrive.memphis.edu/rjbrksby/public/IPCQ/the%20unique%20effects%20of%20forgivness%20on%20health%20and%20exploration%20of%20pathways.pdf. “हरेक पहलू थोडा या पूरी रीति से स्वास्थ्य पर क्षमा कके प्रभाव को प्रभावित करता है.”
5. ↑ यूहन्ना जी वेल्डन, “नरक: क्यों यह स्वर्ग प्रवेश करने की उल्लेखनीय आसानी अनन्त है”, The John Ankerberg Show; http://www.jashow.org/wiki/index.php?title=Hell_-_Why_It%27s_Eternal_and_the_Remarkable_Ease_of_Entering_Heaven.
यूहन्ना वेल्डन: माफी